कार में काले शीशे लगाना सही है या गलत? जानिए इसका कानूनी पहलू
कारों में टिंटेड ग्लास का उपयोग सूरज की रोशनी को केबिन में आने से रोकने के लिए किया जाता है। गर्मी के दिनों में यह यात्रियों का तेज धूप से भी बचाव करता है। यह कार में बैठे लोगों की गोपनीयता को भी बनाए रखता है। कुछ लोग "स्वैग" दिखाने के लिए भी गाड़ी के शीशों को काला करवा देते हैं। आइये जानते हैं टिंटेड ग्लास या सन फिल्म लगाना कानूनी रूप से सही है या गलत।
क्या कहता है नियम?
मोटर वाहन अधिनियम 1988 और सुप्रीम कोर्ट के मई 2012 के एक आदेश के अनुसार, कार के सामने और पीछे वाले शीशे के आर-पार दिखने की विजिबिलिटी का कम से कम 70 फीसदी होना जरूरी है। इसके अलावा साइड के शीशों की विजिबिलिटी कम से कम 50 फीसदी होनी चाहिए। इससे कम विजिबिलिटी होने पर कानून का उल्लंघन माना जाएगा और आप कानूनी पचड़े में पड़ सकते हैं। पुलिस इस ट्रैफिक नियम की अव्हेलना करने पर चालान काट सकती है।
धूप के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं डार्क शेड्स
टिंटेड ग्लास के साथ सन फिल्म पर प्रतिबंध भारी काले शीशे वाली कारों के अंदर हुए कई आपराधिक मामलों को देखते हुए लगाया गया था। इसके अलावा, इन पर रोक का एक अन्य कारण ड्राइवर के लिए अच्छी दृश्यता सुनिश्चित करना और सीमित दृश्यता के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करना है। आप धूप से बचने के लिए डार्क शेड्स का प्रयोग कर सकते हैं, जिन्हें जरूरत ना हो तो हटा कर रख भी सकते हैं।