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हुंडई अगले महीने पेश करेगी सॉलिड-स्टेट बैटरी, जानिए क्या है इनमें खास 
हुंडई मार्च में इलेक्ट्रिक कारों के लिए सॉलिड-स्टेट बैटरी को पेश करेगी (तस्वीर: हुंडई)

हुंडई अगले महीने पेश करेगी सॉलिड-स्टेट बैटरी, जानिए क्या है इनमें खास 

Feb 12, 2025
04:17 pm

क्या है खबर?

हुंडई मोटर कंपनी नई और उन्नत बैटरियों के लॉन्च के साथ इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में बड़ा धमाका करने की तैयारी कर रही है। दक्षिण कोरियाई कार निर्माता मार्च में सॉलिड-स्टेट बैटरी की अपनी पायलट लाइन को पेश करेगी। दावा किया गया है कि उन्नत बैटरी तकनीक की यह नई लाइन अधिक रेंज, उच्च ऊर्जा घनत्व और फास्ट चार्जिंग की पेशकश करेगी। हुंडई का लक्ष्य 2030 के आस-पास सॉलिड-स्टेट बैटरियों का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करना है।

प्रोटोटाइप 

2026 में आएगा सॉलिड-स्टेट बैटरी वाला प्रोटोटाइप 

दक्षिण कोरियाई IT समाचार फर्म ET न्यूज ने बताया कि हुंडई मार्च में पहली बार सार्वजनिक रूप से अपनी नई जनरेशन की बैटरी का अनावरण करेगी। वह दक्षिण कोरिया के उइवांग में अपनी बैटरी अनुसंधान प्लांट के लिए एक उद्घाटन समारोह आयोजित करने की तैयारी कर रही है। अगले महीने से सॉलिड-स्टेट बैटरी पायलट लाइन का पूर्ण पैमाने पर उत्पादन शुरू करेगी और 2026 से पहले नई तकनीक द्वारा संचालित एक प्रोटोटाइप पेश करने की उम्मीद है।

खासियत 

कई खूबियों से लैस होगी यह बैटरी 

सॉलिड-स्टेट बैटरियों को 'ड्रीम' EV बैटरी भी कहा जाता है क्योंकि, उनमें एक बार चार्ज करने पर लंबी दूरी प्रदान करने, फास्ट चार्जिंग और कम आग जोखिम प्रदान करने की क्षमता होती है। अधिकांश EV बैटरियां लिथियम-आधारित होती हैं, जो तरल या जेल इलेक्ट्रोलाइट का उपयोग करती हैं। सॉलिड-स्टेट बैटरियां सिरेमिक, पॉलिमर या अन्य ठोस सामग्री जैसे ठोस इलेक्ट्रोलाइट्स का उपयोग करती हैं। ये बैटरियां उच्च ऊर्जा घनत्व प्राप्त करती हैं और समान आयतन में अधिक ऊर्जा संग्रहीत करती हैं।

सुरक्षा 

मौजूदा बैटरियों से ज्यादा सुरक्षित हैं ये बैटरियां 

ठोस इलेक्ट्रोलाइट्स आमतौर पर गैर-ज्वलनशील होते हैं, जिससे ये लिथियम-आधारित बैटरियों की तुलना में अधिक सुरक्षित विकल्प बन जाती हैं। इस कारण ये अधिक तापमान सहन कर सकती हैं। सॉलिड-स्टेट बैटरियां वर्तमान में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। निर्माण की लागत पारंपरिक बैटरियों की तुलना में बहुत अधिक है क्योंकि, बड़े पैमाने पर ठोस इलेक्ट्रोलाइट्स विकसित करना जटिल है। ये बैटरियां लिथियम-आयन बैटरियों की तरह स्थिर भी नहीं हैं, जिससे उत्पादन में बाधाएं आती हैं।