दोपहिया वाहनों पर बच्चों की सुरक्षा के लिए नए नियम, हेलमेट और सेफ्टी हार्नेस होगा जरूरी
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने दोपहिया वाहनों के लिए नए सुरक्षा नियम जारी किए हैं। इसके तहत दोपहिया वाहनों पर चार साल तक के उम्र के बच्चों को ले जाते समय नए नियमों का पालन करना होगा। इसके तहत अगर आप दोपहिया वाहन पर नौ महीने से लेकर चार साल तक के बच्चों को ले जाते हैं, तो आपको सेफ्टी हार्नेस और बच्चे के सिर पर हेलमेट लगाना अनिवार्य होगा। ये नियम अगले साल फरवरी से लागू होंगे।
क्या होता है सेफ्टी हार्नेस?
सेफ्टी हार्नेस एक तरह का सुरक्षा कवच होता है, जो दुर्घटना के दौरान सुरक्षा प्रदान करता है। कई देशों में इसका उपयोग बाइक पर बच्चों की सुरक्षा के लिए किया जाता है। आपको बता दें कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सुचना के अनुसार, यह सेफ्टी हार्नेस वजन में हल्का, वॉटरप्रूफ और कुशन वाला होना चाहिए। इसके साथ ही 30 किलोग्राम तक का भार उठाने की भी क्षमता वाला होना चाहिए।
इन बातों का ध्यान रखना है जरूरी
नई गाइडलाइंस के अनुसार, दोपहिया वाहन चलाने वालों को यह सुनिश्चित करना होगा कि नौ महीने से चार साल के बच्चों को अपने साथ ले जाते समय रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए। अब चालक को सुरक्षा उपकरणों के साथ ही अधिकतम रफ्तार की बात को भी ध्यान में रखना होगा। नए यातायात नियम का उल्लंघन करने पर 1,000 रुपये का जुर्माना और तीन महीने का ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित किया जा सकता है।
बच्चों के नाप के होने चहिए हेलमेट
नियमों के अनुसार, दोपहिया वाहन पर बच्चों को उनके नाप का हेलमेट लगाना होगा। मंत्रालय इसके लिए भी अलग स्टैंडर्ड जारी करेगा। हालांकि, तब तक बच्चों के लिए छोटे हेलमेट या साइकिल हेलमेट का इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही चालक को यह सुनिश्चित करना होगा कि वाहन पर बैठा बच्चा ऐसा क्रैश हेलमेट लगाया हो जो मानक ब्यूरो ISI के तहत निर्धारित मापदंडो के अनुसार निर्मित होना चाहिए।
नितिन गडकरी पहले ही दे चुके थे इसकी जानकारी
पिछले साल अक्टूबर में केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इन नियमों को लाने की जानकारी दी थी। बता दें कि बच्चों की सुरक्षा के को लेकर मंत्रालय में कई सिफारिशें की गई थीं। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 129 के तहत इसे लागू किया गया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा इसे 2019 में भी संशोधित किया गया है, लेकिन उस समय छोटे बच्चों के लिए ऐसे नियम नहीं लागू किए गए थे।