बांग्लादेश में फिर क्यों भड़की हिंसा, जिससे शेख हसीना को देश छोड़कर जाना पड़ा?
बांग्लादेश पिछले कुछ समय से हिंसा का केंद्र बना हुआ है। पिछले महीने सरकारी नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर शुरू हुई हिंसा ने रविवार को विकराल रूप ले लिया, जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इसके बाद सोमवार को भी तनाव बढ़ने के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया और फिर देश छोड़कर सुरक्षित स्थान के लिए रवाना हो गई। आइए जानते हैं आखिर हिंसा क्यो भड़की।
कैसे हुई थी आरक्षण पर हिंसा की शुरुआत?
दरअसल, बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण मिलता था और लंबे समय से विरोध हो रहा था। इसके बाद 2018 में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नए आरक्षण नियम लागू कर इसे खत्म कर दिया था। हालांकि, इस साल 5 जून को ढाका हाई कोर्ट ने आरक्षण दोबारा लागू करने का आदेश दे दिया। इसके विरोध में 1 जुलाई को छात्रों ने सड़क और रेल मार्ग जाम कर प्रदर्शन शुरू किया था।
हिंसा में हुई थी 115 लोगों की मौत
सरकार के प्रदर्शन को दबाने के लिए सख्ती बरतने पर 16 जुलाई को इसने हिंसा का रूप ले लिया। इसमें 115 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद देश में कर्फ्यू के साथ इंटरनेट बंद कर दिया। 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए अधिकतर आरक्षण को खत्म करते हुए उसकी सीमा को 7 प्रतिशत कर दिया। इसके बाद शांति तो स्थापित हुई, लेकिन अधिकतर प्रदर्शनकारी इसे पूरी तरह खत्म करने पर अड़े रहे।
मौत और गिरफ्तारियों के विरोध में निकाला 'न्याय के लिए मार्च'
सरकार के प्रयास और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अधिकतर छात्र सहमत हो गए, लेकिन हिंसा में हुई मौतों के लिए मुआवजे और गिरफ्तार किए गए हजारों लोगों की रिहाई की मांग सहित सरकार की कानून कार्रवाई की धमकी के विरोध में 31 जुलाई को छात्र फिर से प्रदर्शन पर उतर आए। स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन समूह ने इसके लिए 'न्याय के लिए मार्च' का आह्वान किया था। पुलिस को इस प्रदर्शन को दबाने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा था।
प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की मांग के बाद भड़की हिंसा
पुलिस के बल प्रयोग करने से 20 से अधिक छात्र घायल हो गए थे। इससे गुस्साए छात्रों ने एकजुट होकर सरकार पर तानाशाह होने का आरोप लगाया और 2 अगस्त को प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर मार्च का आह्वान किया। 3 अगस्त को प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ नारे लगाकर मार्च कर रहे थे। उसी दौरान सरकार समर्थित संगठन और लोग उनके सामने खड़े हो गए। इसके बाद इस मार्च ने हिंसा का बड़ा रूप धारण कर लिया।
हिंसा में हुई 100 से अधिक लोगों की मौत
दोनों धड़ों के आमने-सामने होने के बाद ढाका, रंगपुर, बोगरा, मगुरा, सिराजगंज, कोमिला सहित देश के प्रमुख हिस्सों में हिंसा भड़क गई। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों, पुलिस चौकियों, सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यालयों और उनके नेताओं के आवासों पर हमला किया तथा दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया। शाहबाग क्षेत्र स्थित बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी पर भी हमला कर वाहनों को आग लगा दी गई। इस हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
प्रदर्शनकारियों ने थाने में घुसकर की 13 पुलिसकर्मियों की हत्या
बांग्लादेश पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, हिंसा में 14 पुलिसकर्मियों की मौत हुई है। इनमें से 13 सिराजगंज के इनायतपुर थाने में मारे गए हैं। इसके अलावा, करीब 300 पुलिसकर्मी घायल भी बताए जा रहे हैं। पुलिसकर्मियों की मौतों का आंकड़ा बढ़ भी सकता है।
नेताओं ने लगाया प्रदर्शन को राजनीतिक रूप देने का आरोप
सत्तारूढ अवामी लीग के नेताओं का आरोप है कि प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की छात्र इकाई बांग्लादेश इस्लामी छात्र शिबिर और प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने इस प्रदर्शन को राजनीतिक रूप दिया है। इन संगठनों ने छात्रों को सरकार के खिलाफ उग्र करते हुए अपना फायदा निकाला है। नेताओं का दावा है कि इन्हीं संगठनों ने छात्रों को प्रदर्शन के दौरान अपने पास लाठियां रखने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने के लिए दुष्प्रेरित किया था।
प्रधानमंत्री हसीना ने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ा
सरकार ने भड़की हिंसा के बीच देशभर में कर्फ्यू लगाने के साथ इंटरनेट सेवा को भी बंद कर दिया, लेकिन उसके बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों से नहीं हटे। इसके बाद प्रभावित इलाकों में सेना की तैनाती की गई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के सरकारी आवास गणभवन की ओर कूच कर दिया। इसकी सूचना पाते ही प्रधानमंत्री हसीना ने आनन-फानन में पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी बहन शेख रेहाना के साथ सैन्य हेलीकॉप्ट से देश छोड़ दिया।
सेना प्रमुख ने किया अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान
हसीना के इस्तीफा देकर जाने के बाद सेना प्रमुख वकार-उज-जमान ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, "अब हम अंतरिम सरकार बनाकर देश को चलाएंगे। लोग शांति के लिए प्रयास करें और बांग्लादेश की सेना पर भरोसा रखें।" उन्होंने आगे कहा कि हिंसा से कोई समाधान नहीं निकलेगा। देश के लोगों को उनका सहयोग करना चाहिए। लोग कानून को अपने हाथ में न लें। पूरे हालात पर सेना की नजर है। जो कुछ अन्याय हुआ है उस पर विचार करेंगे।
बांग्लादेश छोड़कर कहां गईं हसीना?
हसीना अपनी बहन के साथ सैन्य हेलीकॉप्टर से पहले सीधे भारत पहुंची। वह त्रिपुरा की राजधानी अगरतला पहुंची हैं। रिपोर्ट के अनुसार, हसीना भारत होते हुए लंदन के लिए रवाना होंगी। इस घटना को बांग्लादेश में तख्तापलट के रूप में देखा जा रहा है।