ईरान-इजराइल तनाव से क्यों बढ़ रही तेल की कीमतें और इसका भारत पर क्या होगा असर?
हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नरसल्लाह की मौत के बाद ईरान ने गत मंगलवार रात इजरायल पर 181 बैलिस्टिक मिसाइलें दाग दी। इससे दोनों देशों के बीच तनाव उच्च स्तर पर पहुंच गया। उसके बाद से तेल की कीमतों में भी मामूली उछाल आया है। हालांकि, विशेषज्ञों का अनुमान है कि तेल की कीमतों में और इजाफा होगा और यह 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। आइए जानते हैं यह इजाफा क्यों हुआ और भारत पर इसका क्या असर होगा।
ईरान की तेल सुविधाओं पर हमला कर सकता है इजरायल
ईरान के हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था, "ईरान ने बड़ी गलती की है और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।" हालांकि इजरायल ने अभी कार्रवाई नहीं की है, लेकिन कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि वह ईरान के तेल टर्मिनलों, रिफाइनरियों और परमाणु स्थलों पर हमला करने की फिराक में है। इजरायल उन पर प्रभावी तरीके से हमला करने में सक्षम है। ऐसा होने पर तेल की कीमतों पर बड़ा संकट आ सकता है।
ईरान की तेल उत्पादन क्षमता कितनी है?
ईरान कच्चे तेल के वैश्विक बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी है। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, ईरान 9वां सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है और उसने पिछले साल विश्व तेल उत्पादन का लगभग 4 प्रतिशत उत्पादन किया था। इसका अधिकांश तेल चीन जाता है। क्लियरव्यू एनर्जी कंसल्टिंग एजेंसी के विश्लेषकों के अनुसार, ईरान के तेल उत्पादन को नष्ट करने से अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें 86 से 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएंगी।
कैसे हुआ तेल की कीमतों में इजाफा?
दिलचस्प बात यह है कि तेल की कीमतों में पहले से ही तेजी देखी जा रही है। मंगलवार (1 अक्टूबर) को मिसाइल हमले से पहले तेल की कीमत 71 डॉलर प्रति बैरल से थोड़ी ऊपर थी। हालांकि, बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत बढ़कर 76 डॉलर प्रति बैरल और गुरुवार को 5.02 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 77.62 डॉलर पर पहुंच गई। इसका कारण अमेरिका का इस मामले पर इजरायल से बात करना रहा है।
होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने से और बढ़ेगी कीमत
फिलहाल तेल की कीमत में मामूली वृद्धि के बाद तेल पर्यवेक्षकों और विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इजरायल को सबक सिखाने के लिए तेहरान फारस की खाड़ी में होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का फैसला करता है तो तेल की कीमतें आसमान छू जाएगी। इसका कारण है कि दुनिया की तरलीकृत प्राकृतिक गैस का एक तिहाई और कुल वैश्विक तेल खपत का लगभग 25 प्रतिशत इसी जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। इसके बंद होने तेल सप्लाई बाधित होगी।
रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच सकती है तेल की कीमतें
विश्लेषकों के अनुसार, ईरान अगर होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है तो तेल की कीमतों पर बड़ा असर दिखाई देगा। इससे वैश्विक तेल बाजार और अर्थव्यवस्था को भी बड़ा झटका लगेगा। ऐसी स्थिति में तेल की कीमतें पिछले रिकॉर्ड 141.63 डॉलर प्रति बैरल से भी अधिक हो सकती है। वरिष्ठ अर्थशास्त्री बेंजामिन शूस्मिथ ने कहा कि होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से परिवहन बंद होना वैश्विक तेल आपूर्ति के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध से कहीं अधिक बड़ा झटका होगा।
होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद किए जाने की कितनी संभावना?
विश्लेषकों का मानना है कि अगर ईरान की सारी निर्यात क्षमता नष्ट हो जाती है और वह होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने से पीछे नहीं हटेगा। वह यही चाहेगा कि जब उसका कारोबार बंद हुआ है तो वह दूसरों को क्यों कारोबार करने दे।
तेल की कीमतों के बढ़ने का भारत पर क्या होगा असर?
तेल की कीमतों का बढ़ना दुनिया के लिए विनाशकारी होगा। भारत भी इससे प्रभावित होगा। वह पश्चिम एशिया से तेल पर अत्यधिक निर्भर है। तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बड़ा उछाल आएगा, जहां पहले ही पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर चल रही है। इस बढ़ोतरी का असर रोजमर्रा के उत्पादों और व्यवसायों पर भी देखने को मिलेगा। इससे लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी।
अन्य देशों पर क्या होगा असर?
तेल की कीमतें बढ़ने का अमेरिका पर भी खास प्रभाव देखने को मिलेगा। इसका कारण वहां 5 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव है। तेल की कीमतें बढ़ने पर गैस की कीमत भी बढ़ेगी। उदाहरण के लिए, तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी गैसोलीन की कीमतों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बराबर है। इसी तरह, यूनाइटेड किंगडम (UK) सहित अन्य यूरोपीय देशों में हालात बिगड़ेंगे। यह विश्व बैंकरों के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा।