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    अभी तक कोरोना वायरस के बारे में क्या-क्या जानते हैं वैज्ञानिक और कब तक आएगी वैक्सीन?

    अभी तक कोरोना वायरस के बारे में क्या-क्या जानते हैं वैज्ञानिक और कब तक आएगी वैक्सीन?

    लेखन मुकुल तोमर
    Apr 12, 2020
    08:52 pm

    क्या है खबर?

    पिछले साल दिसंबर में चीन के वुहान से फैलना शुरू हुआ नया कोरोना वायरस अब लगभग सभी देशों में फैल चुका है। अब तक 18 लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 1.1 लाख लोगों को इसके कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है।

    इन पांच महीनों के दौरान वैज्ञानिक इस नए Sars-CoV-2 कोरोना वायरस के बारे में बहुत कुछ जानने में कामयाब रहे हैं।

    आइए जानते हैं कि हमें अभी तक इस वायरस के बारे में क्या-क्या पता है।

    वजूद

    कहां से आया वायरस और कैसे पहले इंसान को किया संक्रमित?

    वैज्ञानिक इस बात को लेकर लगभग आश्वस्त हैं कि Sars-CoV-2 चमगादड़ों से उत्पन्न हुआ है। चमगादड़ों में बहुत सारे वायरस पाए जाते हैं और उनकी प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण ये वायरस उन्हें तो नुकसान नहीं पहुंचा पाते, लेकिन अन्य प्रजातियों के लिए घातक सिद्ध होते हैं।

    Sars-CoV-2 चमगादड़ से सीधे इंसान में नहीं आया बल्कि पहले चमगादड़ से किसी अन्य जानवर संभवतः पैंगोलिन्स में गया। संक्रमित पैंगोलिन के संपर्क में आने वाले इंसान के जरिए ये इंसानों में आया।

    संक्रमण

    कैसे फैलता और शरीर में दाखिल होता है वायरस?

    इंसानों में Sars-CoV-2 वायरस का प्रसार संक्रमित व्यक्ति की छींक या खांसी से निकलने वाली पानी की छोटी-छोटी बूंदों के जरिए होता है।

    जब अन्य कोई इंसान इन बूंदों के संपर्क में आता है तो उसमें भी वायरस का संक्रमण फैल जाता है।

    वायरस के ऊपर मौजूद प्रोटीन सबसे पहले इंसान के गले और स्वरयंत्र में मौजूद रिसेप्टर्स से जुड़ती है और ऐसा करके वायरस शरीर की कोशिकाओं में दाखिल होता है।

    कोशिकाओं पर असर

    शरीर के अंदर कैसे अपना जाल फैलाता है कोरोना वायरस?

    कोशिकाओं में घुसने के बाद Sars-CoV-2 अपनी असली खेल शुरू करता है। इसका RNA कोशिका की मशीनरी में घुस जाता है और उसकी ऊर्जा और प्रक्रियाओं का प्रयोग कर खुद को बढ़ाना शुरू करता है।

    ऐसे करके धीरे-धीरे शरीर में मौजूद वायरसों की संख्या बढ़ने लगती है और संक्रमण फैल जाता है।

    इंसान के इम्युन सिस्टम द्वारा बनाई गईं एंटी-बॉडीज इस संक्रमण से लड़ती हैं और ज्यादातर मामलों में इसे बढ़ने से रोक देती हैं।

    गंभीर संक्रमण

    ऐसे कुछ मामलों में होती है मरीजों की मौत

    गंभीर समस्या वायरस के श्वसन प्रणाली और फेफड़ों में पहुंचने पर शुरू होती है और ये फेफड़ों की कोशिकाओं को मारना शुरू कर देता है। इस स्टेज पर संक्रमित व्यक्ति को इंटेंसिव केयर की जरूरत पड़ने लगती है।

    कई बार संक्रमित व्यक्ति का इम्युन सिस्टम अधिक काम करने लगता है और इसके कारण फेफड़ों में इनफ्लेमेशन होने लगती है।

    इस प्रक्रिया के नियंत्रण से बाहर होने पर इनफ्लेमेशन बेहद बढ़ जाता है और मरीज की मौत भी हो सकती है।

    जानकारी

    क्या होते हैं लक्षण?

    Sars-CoV-2 से संक्रमित होने पर सबसे पहले बुखार की शिकायत होती है। उसके बाद खांसी और सांस लेने में परेशानी होने लगती है। कुछ रिसर्च में सूंघने की क्षमता खत्म होने को भी इसका लक्षण बताया गया है लेकिन इसकी ठोस पुष्टि नहीं हुई है।

    इम्युनिटी

    क्या एक बार ठीक होने पर मिलती है जीवन भर के लिए इम्युनिटी?

    Sars-CoV-2 वायरस के संक्रमण को मात देने वाले लोगों के शरीर में एंटी-बॉडीज बेहद अधिक मात्रा में पाई जाती हैं और इसके कारण उन्हें दोबारा संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।

    हालांकि डॉक्टरों की मानें तो वायरस के खिलाफ ये इम्युनिटी जीवन भर नहीं रहती। ज्यादातर वायरोलॉजिस्ट का मानना है कि Sars-CoV-2 के खिलाफ इम्युनिटी एक या दो साल तक चलेगी, जोकि इंसान को संक्रमित करने वाले अन्य कोरोना वायरस (SARS और MERS) के बराबर है।

    वैक्सीन

    वैक्सीन आने में लगेगा कितना समय?

    इस वायरस को पिछली एक सदी में इंसान के सामने आई सबसे बड़ी चुनौती बताया जा रहा है और इसी कारण इसकी वैक्सीन और इलाज पर तेजी से काम हो रहा है।

    दुनियाभर में अभी इसकी 78 वैक्सीन पर काम चल रहा है और अन्य 37 पर शुरू होने वाला है। इनमें से कुछ वैक्सीन रिकॉर्ड टाइम में शुरूआती चरण का पार कर चुकी हैं।

    हालांकि वैक्सीन आने में फिर भी एक साल से 18 महीने तक लग सकते हैं।

    इलाज

    कितना दूर है इलाज?

    इस कोरोना वायरस की वैक्सीन को आने में भले ही समय लगना हो लेकिन इसका इलाज कुछ महीनों के अंदर मिलने की संभावना है।

    भारत की हाइड्रोक्लोरोक्वीन के इसके इलाज में सहायक होने की बात सामने आई हैं और इसकी पुष्टि करने के लिए बड़े स्तर पर ट्रायल चल रहे हैं। इसके अलावा अन्य कई पुरानी दवाईयों का ट्रायल भी चल रहा है।

    इसके अलावा कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी के जरिए इसके इलाज के शुरूआती नतीजे भी उत्साहित करने वाले हैं।

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