दिवालिया होने की कगार पर पहुंचा पाकिस्तान, जानिए जरुरी बातें
गंभीर नकदी संकट से जूझ रहा पाकिस्तान अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेल-आउट पैकेज हासिल करने का प्रयास कर रहा है। पाकिस्तान सरकार IMF की शर्तों को पूरा करने के लिए टैक्स वृद्धि के अध्यादेश को संसद में ला सकती है। इसी बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने वित्त मंत्री इशाक डार को अध्यादेश लाने से पहले संसद को अपने भरोसे में लेने को कहा है। ऐसे में आइये जानते हैं क्यों पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर है।
क्यों ला रही पाकिस्तान सरकार अध्यादेश?
IMF का पाकिस्तान सरकार के साथ 2019 में सात अरब डॉलर का समझौता हुआ था। इसमें इस बार 1.1 अरब डॉलर की किश्त पाकिस्तान को दी जानी थी। हालांकि, IMF ने इसके लिए पाकिस्तान के सामने कुछ शर्तें रखीं। इनमें से एक शर्त में 170 अरब रुपये तक की टैक्स वृद्धि भी है। IMF के प्रतिनिधिमंडल के साथ अभी समझौता नहीं हुआ है। ऐसे में सरकार जून से पहले टैक्स वृद्धि का अध्यादेश लाकर 170 अरब रुपये जुटाना चाहती है।
IMF ने बेल-आउट पैकेज को लेकर की बात
बीते सोमवार को IMF के प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान सरकार से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बातचीत शुरू की थी। इससे पाकिस्तान सरकार को उम्मीद जगी है कि अब जल्द ही बेल-आउट समझौता हो जाएगा। इसी कड़ी में राष्ट्रपति ने वित्त मंत्री को सलाह दी है कि इस महत्वपूर्ण टैक्स वृद्धि के अध्यादेश को सत्र बुलाकर जल्द संसद में पारित कराया जाना चाहिए ताकि बेल-आउट पैकेज को लेकर बात आगे बढ़ सके।
पाकिस्तान में चल क्या रहा है?
सालों के वित्तीय कुप्रबंधन और राजनीतिक अस्थिरता ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचाया है। वैश्विक ऊर्जा सकंट और देश में आई विनाशकारी बाढ़ ने हालात बद से बदतर कर दिये हैं। देश पूरी तरह से कर्ज में डूबा हुआ है और बढ़ती महंगाई, ईंधन की बढ़ती लागत और गिरते रुपये के कारण उद्योग चौपट हो गए हैं। IMF से वार्ता विफल होने के बाद देश दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुका है।
बड़ी कंपनियां बंद कर रहीं उत्पादन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टोयोटा ऑटोमोबाइल की निर्माता इंडस मोटर कंपनी (IMC) ने 1 फरवरी से 14 फरवरी तक पाकिस्तान में अपनी उत्पादन इकाई को पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया था। IMC ने कहा है कि कच्चे माल के आयात और वाणिज्यिक बैंकों से मंजूरी प्राप्त करने में कंपनी और उसके विक्रेताओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह ब्रिटिश एयरलाइन वर्जिन अटलांटिक ने पाकिस्तान में अपनी सेवाएं बंद करने की घोषणा की है।
आयात पर रोक के कारण निर्माण उद्योगों के सामने संकट
पाकिस्तान सरकार ने IMF के साथ समझौता होने तक सभी आवश्यक खाद्य और दवाओं के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे देश में स्टील, कपड़ा और फार्मास्यूटिकल्स जैसे उद्योग बमुश्किल काम कर पा रहे हैं। पाकिस्तान की कंस्ट्रक्टर्स एसोसिएशन ने कहा कि इस स्थिति से डर पैदा होता है कि निर्माण उद्योग बहुत जल्द बंद हो जाएगा, जिससे हजारों मजदूर बेरोजगारी के बोझ के नीचे दब जाएंगे।
विदेशी मुद्रा भंडार सबसे निचले स्तर पर
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार घटकर मात्र 2.9 अरब डॉलर के करीब रह गया है, जो तीन सप्ताह से कम के आयात के लिए पर्याप्त है। साल 1998 के बाद विदेशी मुद्रा भंडार सबसे निचले स्तर पर है। पाकिस्तान में महंगाई दर पिछले 48 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, जिससे आम लोगों को खाद्य सामग्री के अलावा रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ रहा है।
पाकिस्तान में महंगाई अपने चरम पर
बीते दिन पाकिस्तान सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 32 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी के संकेत दिये हैं। पिछले महीने ही पेट्रोल और डीजल के दामों में 35 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी का ऐलान किया था। इसके अलावा पाकिस्तान में चावल, दाल और गेहूं की कीमतों में भी एक साल के अंदर करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण महंगाई यहां अपने चरम पर पहुंची चुकी है।
कर्ज में कैसे डूबा पाकिस्तान?
पाकिस्तान में आर्थिक संकट के कई कारण हैं, जिसमें राजनीतिक अस्थिरता और आयात पर पाकिस्तान की निर्भरता प्रमुख है। पाकिस्तान ने IMF, विश्व बैंक और चीन आदि से कर्ज लिया हुआ है, जो उसकी GDP के 84 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। इस साल के अंत तक यह कर्ज बढ़कर 140 अरब डाॅलर तक पहुंच जाएगा। पिछले कई दशकों में पाकिस्तान सरकार ने IMF से दो दर्जन से अधिक ऋण सौदे किये हैं, जिसके कारण वह कर्ज में डूबा है।