पाकिस्तान: पेट्रोल-डीजल की कीमतों में फिर हो सकती है 32 रुपये की वृद्धि
आर्थिक संकट और महंगाई से जूझ रहे पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 32 पाकिस्तानी रुपये प्रति की बढ़ोतरी की जा सकती है। बतौर रिपोर्ट्स, कीमतों में यह बदलाव गुरुवार से प्रभावी हो सकते हैं। पाकिस्तान सरकार ने पिछले महीने ही पेट्रोल और डीजल के दामों में 35 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी का ऐलान किया था। गौरतलब है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये में काफी गिरावट दर्ज हो रही है।
क्या होंगी नई कीमतें?
पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया के मुताबिक, देश में पेट्रोल की कीमतें 12.8 प्रतिशत यानी 32.07 पाकिस्तानी रुपये बढ़ सकती हैं। इसके बाद पेट्रोल की कीमत 250 रुपये से बढ़कर 282 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी। इसी तरह डीजल की कीमतें 12.5 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है, जिसके बाद इसकी कीमत 262.8 रुपये से बढ़कर 295.64 रुपये प्रति लीटर तक जा सकती है। मिट्टी के तेल (केरोसिन) की कीमत में भी 14.8 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
सरकार ने क्यों बढ़ा रही कीमत?
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशहाक डार ने जनवरी के आखिर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि की घोषणा करते हुए कहा था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है और पाकिस्तान में पिछले चार महीनों में पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाए गए थे। डार ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल की कोई कमी नहीं है।
पाकिस्तान में दूध और चिकन के दाम भी बढ़े
पाकिस्तान में खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी भारी वृद्धि हुई है, जिसके कारण लोग महंगाई से जूझ रहे हैं। बतौर रिपोर्ट्स, पाकिस्तान में दूध 210 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिक रहा है, जबकि एक किलोग्राम चिकन की कीमत 700 से 800 रुपये के बीच है। बता दें कि देश में चावल और गेहूं समेत खाने की अन्य चीजों की कीमतों में भी एक साल के अंदर करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
क्या है पाकिस्तान में आर्थिक संकट के पीछे का कारण?
पाकिस्तान सरकार पर खराब अर्थव्यवस्था के चलते लगातार विदेशी कर्ज बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण पाकिस्तान में आर्थिक तंगी हो गई है और महंगाई दर में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक और चीन से कर्ज लिया हुआ है, जो उसकी GDP के 84 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। इस साल के अंत तक यह कर्ज बढ़कर 140 अरब डाॅलर होने की संभावना है।