कोरोना वायरस: छह महीनों के प्रकोप के बाद भी नहीं मिले हैं इन सवालों के जवाब
पूरी दुनिया पिछले छह महीने से भी ज्यादा समय से कोरोना वायरस (COVID-19) का प्रकोप झेल रही है। हर बढ़ते दिन के साथ इसका प्रकोप बढ़ता जा रहा है। अभी तक 1.10 करोड़ लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं और पांच लाख से ज्यादा की मौत हुई है। बीते साल शुरू हुए इस वायरस की अब तक न कोई दवा बनी है और न ही वैक्सीन। इस बीच इससे जुड़े कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब मिलना बाकी है।
अभी तक इन सवालों के जवाब मिले
साइंस जर्नल 'नैचर' में छपे एक लेख में कोरोना वायरस से जुड़े पांच सवालों के जवाब जल्दी खोजने की जरूरत बताई गई है। अभी तक यह पता चल चुका है कि यह वायरस हमारे शरीर में प्रवेश कैसे करता है और कैसे कुछ लोग इससे ठीक हो जाते हैं और कैसे कुछ इसके आगे हार मान लेते हैं। लेख में आगे लिखा गया है कि कुछ ऐसी दवाओं की पहचान भी हुई है, जो थोड़ी राहत पहुंचा सकती है।
इन सवालों के जवाब मिलना बाकी
संक्रमित होने के बाद लोगों में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया क्यों होती है? इस सवाल का जवाब इसलिए जरूरी है कि क्योंकि बुजुर्ग या ऐसे लोग, जिन्हें लंबे समय से दूसरी बीमारियां हैं, उनमें संक्रमित होने के बाद अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया क्यों होती है।
संक्रमण से ठीक होने के बाद कितने समय तक इम्युनिटी बनी रहती है?
इम्युनोलॉजिस्ट और विशेषज्ञ अभी तक इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि कोरोना वायरस के प्रति हमारे शरीर में इम्युनिटी कैसे बनती है और यह कितने समय तक रहती है। कई स्टडीज में सामने आया है कि संक्रमण से ठीक होने के कुछ हफ्तों बाद तक शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडीज रहती हैं, लेकिन बाद में ये कम होना शुरू हो जाती हैं। इसलिए इस सवाल का जवाब अभी खोजना बाकी है।
क्या वायरस में कोई चिंताजनक बदलाव हुआ है?
वैज्ञानिक इस बात का भी जवाब खोजने में लगे हैं कि चीन से शुरू हुए इस वायरस में दुनिया के अलग-अलग देशों में जाने पर क्या कोई चिंताजनक बदलाव हुआ है। अगर ऐसा होता है तो इसकी वैक्सीन और दूसरी प्रक्रियाओं पर काफी असर पड़ेगा।
वैक्सीन कितनी कारगर होगी?
दुनियाभर में वैज्ञानिक इस खतरनाक वायरस की वैक्सीन तैयार करने में लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वैक्सीन बन जाती है तो अधिकतर लोगों को इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी और वो खुद ही ठीक हो जाएंगे। इन्हें कमजोर लोगों को महामारी के जाल से निकालने में इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, विशेषज्ञों के बीच इस बात का कोई पुख्ता जवाब नहीं है कि अगर कोई वैक्सीन आती है तो वह इस खतरनाक वायरस के खिलाफ कितनी कारगर साबित होगी।
वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई?
यह सवाल सबकी जुबान पर है कि इस वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई। कुछ इसे पेंगोलिन से इंसान में आया बताते हैं तो कुछ इसे चमगादड़ से इंसानों में आने की बात कहते हैं। इस बारे में अभी तक स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है।