डोनाल्ड ट्रंप की BRICS देशों को 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की धमकी, भारत भी है शामिल
क्या है खबर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही फरवरी से कनाडा और मेक्सिको पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का वादा किया है। साथ ही BRICS देशों को भी शुल्क बढ़ाने की धमकी दी है।
ट्रंप ने शपथ ग्रहण के बाद ओवल ऑफिस में कहा कि अगर BRICS देश डी-डॉलरीकरण प्रयासों को जारी रखते हैं तो उन्हें अमेरिका के साथ व्यापार पर 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि यह धमकी नहीं बल्कि उनका साफ रुख है।
धमकी
ट्रंप ने कहा- अमेरिका BRICS पर हावी है
ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, "अगर BRICS देश ऐसा करना चाहते हैं तो ठीक है, लेकिन हम अमेरिका के साथ उनके व्यापार पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने जा रहे हैं। यह कोई धमकी भी नहीं है। जब से मैंने ये बयान दिया है, बाइडन कह रहे थे कि वे हमारे ऊपर हावी हो गए हैं। मैंने कहा, नहीं, हम उनके ऊपर हावी हो गए हैं और ऐसा कोई तरीका नहीं, जिससे वे कुछ कर पाएं।"
विवाद
क्या है BRICS देश और उनका डी-डॉलरीकरण?
BRICS देशों का गठन 2009 में हुआ था। पहले इसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे। अब इसमें इंडोनेशिया, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल हैं। अमेरिका इसका हिस्सा नहीं। कई अन्य देश इसमें आना चाहते हैं।
पिछले कुछ सालों में रूस और चीन अमेरिकी डॉलर का विकल्प तलाश रहे हैं और वे BRICS मुद्रा बनाना चाहते हैं। सभी अमेरिका के प्रभुत्व से तंग हैं।
BRICS मुद्रा से अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम होगी।
असर
धमकी से भारत पर क्या पड़ेगा असर?
BRICS देशों में भले ही भारत शामिल हो, लेकिन वह कभी अमेरिकी डॉलर के विकल्प तलाशने की दौड़ में शामिल नहीं रहा।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस मामले में कहा था कि भारत की डी-डॉलरीकरण करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और ऐसा कोई प्रस्ताव भी नहीं है।
उन्होंने कहा था कि BRICS वित्तीय परिवर्तनों पर चर्चा करता है और अमेरिका हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, भारत की डॉलर के विकल्प को लेकर अभी कोई दिलचस्पी नहीं।
जानकारी
रूस कर रहा है डी-डॉलरीकरण की पैरवी
2023 में 15वें BRICS शिखर सम्मेलन के पूर्व सत्र के दौरान रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डी-डॉलरीकरण का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था BRICS देशों को राष्ट्रीय मुद्रा में निपटान का विस्तार और बैंकों के बीच सहयोग बढ़ाना चाहिए।