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    क्या रेमडेसिवीर से दी जा सकती है कोरोना वायरस को मात?
    दुनिया

    क्या रेमडेसिवीर से दी जा सकती है कोरोना वायरस को मात?

    लेखन भारत शर्मा
    May 03, 2020 | 11:20 am 1 मिनट में पढ़ें
    क्या रेमडेसिवीर से दी जा सकती है कोरोना वायरस को मात?

    कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है। ऐसे में सभी देश इससे बचने के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। इलाज की बात करें तो जहां मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का प्रयोग हो रहा है, वहीं अमेरिका ने रेमडेसिवीर नामक दवाई के प्रयोग की इजाजत दे दी है। अमेरिकी नेतृत्व वाले परीक्षण में यह दवा फायदा पहुंचती दिख रही है। ऐसे में आइए जानते हैं क्या है रेमडेसिवीर और यह कैसे करती है काम।

    रेमडेसिवीर को इबोला के लिए किया गया था विकसित

    रेमडेसिवीर एक न्यूक्लियोसाइड राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) पोलीमरेज़ इनहिबिटर इंजेक्शन है। इसका निर्माण सबसे पहले वायरल रक्तस्रावी बुखार इबोला के इलाज के लिए किया गया था। इसे अमेरिकी फार्मास्युटिकल गिलियड साइंसेज द्वारा बनाया गया है। फरवरी में US नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शस डिजीज (NIAID) ने SARS-CoV-2 के खिलाफ जांच के लिए रेमडेसिवीर का ट्रायल करने की घोषणा की थी। अब यह ट्रायल सफल होता नजर आ रहा है।

    ऐसे किया जाता है रेमडेसिवीर का निर्माण

    रेमडेसिवीर 100mL जीवाणुरहित, प्रीजर्वेटिव-फ्री आइयोफिलाइज्ड सॉलिड इंजेक्शन है। जिसे 19mL जीवाणुरहित पानी के साथ तैयार कर 0.9% खारे पानी में मिलाया जाता है। इसे तैयार करने के बाद 5mL रेमडेसिवीर के मिश्रण के साथ एक 20mL खुराक की शीशी तैयार की जाती है। इस इंजेक्शन को 30 डिग्री से नीचे के तापमान पर रखा जाना चाहिए। इसी तरह उपयोग से पहले इसे 2 से 8 डिग्री के तापमान पर रखा जाना चाहिए।

    कैसे काम करती है रेमडेसिवीर?

    रेमडेसिवीर दवा सीधे वायरस पर हमला करती है। इसे 'न्यूक्लियोटाइड एनालॉग' कहा जाता है जो एडेनोसिन की नकल करता है, जो RNA और DNA के चार बिल्डिंग ब्लॉक्स में से एक है। टेक्सास एएंडएम यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट बेंजामिन नेउमन ने कहा, "वायरस आमतौर पर तेजी से हमला करने की कोशिश करते हैं। रेमडेसिवीर चुपके से एडेनोसिन के बजाय वायरस के जीनोम में खुद को शामिल करता है, जो रेप्लिकेशन प्रोसेस में शॉर्ट सर्किट की तरह काम करता है।"

    कितनी असरकारी है रेमडेसिवीर?

    NIAID ने बुधवार को 1,000 से अधिक लोगों पर किए गए परीक्षण के परिणामों की घोषणा की है। इसमें बताया गया है कि सांस की तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती हुए कोरोना वायरस मरीज प्लेसीबो की तुलना में जल्दी ठीक हो गए। इस दवा के उपयोग वाले मरीजों के ठीक होने की रफ्तार 31 प्रतिशत अधिक रही है। NIAID का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर एंथनी फॉउकी ने भी गुरुवार को रेमडेसिवीर के परीक्षण परिणामों की तारीफ की है।

    शिकागो में 125 में से 123 मरीज हुए ठीक

    डॉ फॉउकी ने बताया कि रेमडेसिवीर का इस्तेमाल शिकागो के अस्पताल में भर्ती हुए कोरोना के करीब 125 मरीजों पर किया गया था। इसके उपयोग के बाद 123 मरीज अप्रत्याशित रूप से ठीक हो गए हैं। यह बड़ी उपलब्धि है।

    अमेरिका ने दी कोरोना संक्रमितों की उपचार में रेमडेसिवीर के उपयोग की अनुमति

    रेमडेसिवीर के परीक्षण में बेहतर परिणाम सामने आने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को रेमडेसिवीर का कोरोना संक्रमितों के इलाज में इस्तेमाल किये जाने को मंजूरी दे दी है। फिलहाल इसका उपयोग गंभीर मरीजों के उपचार के लिए किया जाएगा। इनमें वो मरीज शामिल होंगे, जिन्हें सांस लेने में ज्यादा दिक्कत हो रही है। राष्ट्रपति ट्रंप ने बताया कि इस दवा के इस्तेमाल से संक्रमित मरीज महज 11 दिन में ही ठीक हो रहे हैं।

    अमेरिकी सरकार को रेमडेसिवीर की 15 लाख खुराक देगी कंपनी

    रेमडेसिवीर की मरीजों के उपचार में अनुमति मिलने के बाद इसे बनाने वाली कंपनी गिलियड साइंसेज ने मरीजों के उपचार के लिए सरकार को 15 लाख खुराक फ्री देने की घोषणा की है। इससे 1.40 लाख मरीजों का उपचार किया जा सकेगा।

    भारत में भी रेमडेसिवीर के इस्तेमाल को लेकर की जा रही है तैयारी

    भारत कोरोना वैक्सीन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ साझा ट्रायल का हिस्सा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डॉक्टर रमण गंगाखेडकर ने पहले कहा था कि भारत ने रेमडेसिवीर के ट्रायल पर नजर बना रखी है और उससे जुड़ा डाटा इकट्ठा किया जा रहा है। यदि यह दवा कारगर होती है तो बड़ी कामयाबी होगी। भारत की आबादी को देखते हुए इसकी कीमत और उपलब्धता पर भी नजर रखी जा रही है।

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