तालिबान को दोबारा सत्ता की दहलीज पर लाने वाले बड़े चेहरे कौन से हैं?
क्या है खबर?
करीब 20 साल पहले सत्ता से हटाए जाने के बाद एक बार फिर तालिबान काबुल पर काबिज होने जा रहा है।
राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भागने और काबुल पर लड़ाकों का कब्जा होने के बाद तालिबान ने कहा है कि अफगानिस्तान में 'युद्ध समाप्त' हो चुका है और जल्द ही नए शासन का ऐलान कर दिया जाएगा।
आइये, एक नजर उन चेहरों पर डालते हैं जो तालिबान को दोबारा सत्ता की दहलीज पर लाने में आगे रहे हैं।
तालिबान के बड़े चेहरे
हिब्तुल्लाह अखुंदजादा
हिब्तुल्लाह अखुंदजादा तालिबान का सबसे बड़ा नेता है और संगठन के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों में उसका फैसला अंतिम माना जाता है।
अखुंदजादा इस्माल धर्म का विद्वान है और 2016 में अचानक गायब होने से पहले वह मस्जिदों में धार्मिक शिक्षा देता था।
अलजजीरा के अनुसार, उसकी उम्र 60 साल के करीब है और उसके मौजूदा ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
उसने तालिबान के पूर्व प्रमुख अख्तर मोहम्मद मंसूर की जगह ली है।
तालिबान के बड़े चेहरे
मुल्ला मोहम्मद याकूब
मुल्ला मोहम्मद याकूब तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा है और तालिबान के सैन्य अभियानों का प्रमुख है। स्थानीय मीडिया खबरों के मुताबिक, वह इस समय अफगानिस्तान में ही मौजूद है।
लगभग 30 साल के याकूब को अलग-अलग मौकों पर संगठन का प्रमुख घोषित किया गया था, लेकिन उसने 2016 में अखुंदजादा का नाम तालिबान के सबसे बड़े नेता के तौर पर आगे कर दिया था।
तालिबान का कहना है कि उसके पास लड़ाई का अनुभव नहीं है।
तालिबान के बड़े चेहरे
सिराजुद्दीन हक्कानी
सिराजुद्दीन हक्कानी मुजाहिद्दीन कमांडर जल्लालुद्दीन हक्कानी का बेटा है। वह हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख है, जो पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान के सैन्य और वित्तीय संसाधनों की देखरेख करता है।
अमेरिका ने सिराजुद्दीन को मोस्ट वॉंटेड आतंकी घोषित किया हुआ है। कुछ जानकार मानते हैं कि हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में आत्मघाती हमलों की शुरुआत की थी। यह नेटवर्क भारतीय दूतावास पर भी आत्मघाती हमला कर चुका है और इसने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या की कोशिश भी की थी।
तालिबान के बड़े चेहरे
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर
तालिबान के चार संस्थापकों में से एक बरादर फिलहाल संगठन का राजनीतिक प्रमुख है और वह दोहा में वार्ताकारों की टीम में शामिल था।
मुल्ला उमर के बेहद करीबी माने जाने वाले बरादर को 2010 में कराची से गिरफ्तार किया गया था और आठ साल उसकी रिहाई हुई।
तालिबान के गठन के समय वह एक कमांडर और रणनीतिकार की भूमिका में हेरात और काबुल क्षेत्र में सक्रिय था। उस समय वह तालिबान के फंड जुटाने का काम करता था।
तालिबान के बड़े चेहरे
शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई
सत्ता से बेदखल होने से पहले तालिबान सरकार में मंत्री रह चुका शेर मोहम्मद अब्बास एक दशक तक दोहा में रहा है। उसने अफगान सरकार के साथ बातचीत भी हिस्सा लिया है और कई देशों के कूटनीतिक दौरे किए हैं।
अब्दुल हकीम हक्कानी- तालिबान के वार्ताकारों की टीम का प्रमुख अब्दुल्ल हकीम संगठन के लिए जज के तौर पर भी काम कर चुका है। कहा जाता है कि वह अखुंदजादा का सबसे भरोसेमंद आदमी है।