तालिबान का महिलाओं को निर्देश- ऑफिस न जाएं, घर से ही करें काम
तालिबान ने मंगलवार को स्वीकार किया कि उसके राज में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। इस खतरे को देखते हुए उसने महिलाओं से ऑफिस न जाने और घर से ही काम करने को कहा है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए काम पर नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये कदम इसलिए आवश्यक है क्योंकि तालिबान के लड़ाके बदलते रहते हैं और वे प्रशिक्षित नहीं हैं।
महिलाओं को खतरे के कारण अफगानिस्तान की फंडिंग रोक चुका है विश्व बैंक
तालिबान की तरफ से ये निर्देश ऐसे समय पर आया है जब हाल ही में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता के कारण विश्व बैंक ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली अपनी मदद रोक दी है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में मानवाधिकार के उल्लंघन की पारदर्शी जांच करने को कहा है। अमेरिका जैसे पश्चिमी देश पहले ही अफगानिस्तान को दी जाने वाली अपनी मदद रोक चुके हैं।
तालिबान के राज में महिलाओं की स्थिति को लेकर गहरी चिंता
बता दें कि तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद सबसे ज्यादा चिंता महिलाओं की स्थिति को लेकर जताई जा रही है। 1996 से 2001 के अपने पहले शासन में तालिबान ने महिलाओं को घर की चारदीवारों में बंद कर दिया था और किसी पुरुष के बिना उनके बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई थी। इसके अलावा महिलाओं को अपना शरीर इस तरीके से ढकने को कहा गया था कि उनके शरीर का कोई भी हिस्सा न दिखे।
तालिबान की कथनी और करनी में है अंतर
तालिबान ने इस बार थोड़ा नरम रुख अपनाने और शरिया कानून के तहत महिलाओं को काम करने और पढ़ने का अधिकार देने की बात तो कही है, लेकिन पिछली सरकारों में महिलाओं को मिले अधिकारों को न छीनने का वादा नहीं किया है। तालिबान ने एक महिला एंकर को इंटरव्यू भी दिया है, हालांकि इस बीच कई महिला पत्रकारों और अन्य क्षेत्रों की कर्मचारियों को ऑफिस से वापस लौटाए जाने की खबरें भी सामने आई हैं।
बुर्का न पहनने के लिए तालिबान ने कर दी थी महिला की हत्या
महिलाओं को अधिकार देने की बात कर रहे तालिबान के लड़ाकों ने 17 अगस्त को बुर्का न पहनने के लिए एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी थी। तखर प्रांत की इस घटना में महिला अपने परिजनों के साथ बाजार गई थी, तभी तालिबान के आतंकियों ने उसे बीच बाजार गोली मार दी। इसके अलावा काबुल और अन्य जगहों पर भी महिलाओं पर हमले किए जाने के मामले सामने आए हैं।
अफगानिस्तान में क्या हो रहा है?
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है और अपनी सरकार बनाने की जुगत में लगा हुआ है। उसका प्रयास है कि वह एक ऐसी सरकार बना सके जो अफगानिस्तान के अधिकांश लोगों को स्वीकार हो और इस संबंध में देश के विभिन्न समुदायों से बातचीत चल रही है। तालिबान ने साफ कर दिया है कि देश में लोकतंत्र नहीं होगा और वो एक परिषद के जरिए देश का शासन चलाएगा।