पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुने गए अनवर-उल-हक काकर
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के सांसद अनवर-उल-हक काकर को देश का कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुन लिया गया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता राजा रियाज के बीच दूसरे दौर के परामर्श के बाद काकर का नाम तय करने पर फैसला लिया गया। गौरतलब है कि शरीफ की सिफारिश पर बुधवार को नेशनल असेंबली को भंग कर दिया गया था, जिसके बाद पाकिस्तान में आम चुनाव का रास्ता साफ हो गया था।
कौन हैं अनवर-उल-हक काकर?
बलूचिस्तान की बड़ी राजनीतिक शख्सियत काकर बलूचिस्तान अवामी पार्टी (BAP) के सांसद हैं। काकर 2018 में सीनेट के लिए चुने गए थे और उच्च सदन के लिए चुने जाने से पहले उन्होंने प्रांतीय सरकार के प्रवक्ता के रूप में भी काम किया था। उन्होंने 2008 में क्यू-लीग पार्टी के टिकट पर क्वेटा से नेशनल असेंबली का चुनाव भी लड़ा था। उनके पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) समेत अन्य पार्टियों के साथ अच्छे संबंध माने जाते हैं।
राष्ट्रपति ने काकर के नाम को दी मंजूरी
रियाज ने प्रधानमंत्री शरीफ के साथ बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "हमने तय किया कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री एक छोटे प्रांत से होना चाहिए।" उन्होंने दावा किया कि काकर का नाम उन्होंने ही सुझाया था, जिस पर प्रधानमंत्री ने अपनी सहमति जताई। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने संविधान के अनुच्छेद 224 1ए के तहत कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए काकर के नाम को मंजूर कर लिया है।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली हुई थी भंग
बता दें कि प्रधानमंत्री शहबाज की सलाह पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अलवी ने नेशनल असेंबली को उसके 5 साल के संवैधानिक कार्यकाल की समाप्ति से 3 दिन पहले भंग कर दिया था। इसके बाद पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने निवर्तमान पाकिस्तान सरकार को नया कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए 3 दिन और आम चुनाव कराने के लिए 90 दिन का समय दिया था। हालांकि, संभावना है कि आम चुनाव में अगले साल तक देरी हो सकती है।
समय से पहले क्यों भंग हुई नेशनल असेंबली?
शहबाज सरकार 11 अगस्त को संसद भंग करना चाहती थी, लेकिन उसे आशंका थी कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के पूर्व नेता और राष्ट्रपति अलवी संसद भंग करने के लिए तुरंत अधिसूचना जारी करने से इनकार कर सकते हैं। गौरतलब है कि समय से पहले संसद भंग होने पर पाकिस्तान के चुनाव आयोग द्वारा 90 दिनों की अवधि के भीतर चुनाव करवाए जाने का प्रावधान है।