अमेरिका: हवाई में आग से मरने वालों का आंकड़ा 67 पर पहुंचा, हालात अब भी बेकाबू
अमेरिका के हवाई प्रांत के जंगलों में लगी आग पर 5 दिन बाद भी काबू नहीं पाया जा सका है। इस आग में मरने वालों का आंकड़ा अब 67 पर पहुंच गया है। प्रशासन लगातार आग बुझाने की कोशिशों में जुटा है, लेकिन अभी तक खास सफलता नहीं मिली है। करीब 1,000 घर जलकर खाक हो गए हैं और लाहौना शहर पूरी तरह आग की चपेट में आ चुका है।
आग से अब तक कितना नुकसान?
हवाई के गर्वनर जॉश ग्रीन के मुताबिक, 16 लाख की आबादी वाले लाहौना शहर पूरी तरह तबाह हो चुका है। इसे फिर से खड़ा करने में कई साल और अरबों रुपए लग जाएंगे। आग से बचने के लिए करीब 100 लोगों ने समुद्र में छलांग लगा दी है। आग प्रभावित इलाकों से 15,000 से भी ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। आग में अमेरिका का सबसे बड़ा और 150 साल पुराना बरगद का पेड़ भी जल गया है।
कैसे लगी आग?
आग की स्पष्ट वजह अभी तक सामने नहीं आई है। हालांकि, राष्ट्रीय मौसम सेवा ने चेतावनी जारी कर कहा था कि माउई द्वीप पर तेज हवा और कम आर्द्रता की वजह से जंगलों में आग लग सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, माउई काउंटी में सूखे पौधों में सबसे पहले आग लगी। इसी समय डोरा तूफान की वजह से तेज हवाएं चलने लगी, जिससे आग और फैल गई और कई इलाकों को चपेट में ले लिया।
राष्ट्रपति जो बाइडन ने घटना को आपदा घोषित किया
हवाई में आई ये अब तक की सबसे बड़ी आपदा है। इससे पहले साल 1961 में एक समुद्री लहर में 61 लोगों की मौत हुई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि उन्होंने जंगलों में लगी आग से निपटने के लिए 'सभी उपलब्ध संघीय संसाधनों' का उपयोग करने का आदेश दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि तटरक्षक बल और नौसेना भी इस बचाव कार्य में सहायता कर रही है।
पोप फ्रांसिस ने शोक व्यक्त किया
घटना पर पोप फ्रांसिस ने एक संदेश जारी कर मृतकों के प्रति शोक व्यक्त किया है। संदेश में कहा, "पोप फ्रांसिस को हवाई द्वीप पर जंगल की आग से हुई जानमाल की हानि और विनाश के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ। वे घटना में मारे गए, घायल विस्थापित और आपातकालीन सेवा में जुटे कर्मियों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। वे ईश्वर से शक्ति और शांति के आशीर्वाद का आह्वान कर रहे हैं।"