कुवैत अग्निकांड में 40 भारतीयों की मौत, जानिए अब तक क्या-क्या हुआ
कुवैत के मंगाफ में एक 6 मंजिला इमारत में लगी भीषण आग में अब तक 40 भारतीयों समेत 49 लोगों की मौत हो गई है। करीब 50 लोग घायल बताए जा रहे हैं। घायलों के हालचाल जानने और शवों की वापसी के लिए केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह कुवैत रवाना हो गए हैं। दूसरी ओर, घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (12 जून) शाम उच्च स्तरीय बैठक की है।
वायुसेना के विमान से भारत लाए जाएंगे शव
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा, "वहां पहुंचते ही स्थिति साफ हो जाएगी। स्थिति ये है कि अधिकतर पीड़ित जल गए हैं। कुछ शव इस कदर जल गए हैं कि उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया है। पीड़ितों की पहचान के लिए DNA जांच चल रही है। जैसे ही शवों की पहचान हो जाएगी, उनके परिजनों को सूचित कर दिया जाएगा और शवों को भारतीय वायुसेना के विमान से स्वदेश लाया जाएगा।"
घटना पर प्रधानमंत्री ने जताया दुख
घटना पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'कुवैत शहर में आग लगने की घटना दुखद है। मेरी संवेदनाएं उन सभी लोगों के साथ हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। मैं प्रार्थना करता हूं कि घायल लोग जल्द से जल्द ठीक हो जाएं। कुवैत में भारतीय दूतावास स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है।' मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री राहत कोष से 2-2 लाख रुपये की मदद का ऐलान किया गया है।
कुवैत के अमीर बोले- जिम्मेदारों पर होगी सख्त कार्रवाई
कुवैत के अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह ने अधिकारियों को घटना की जांच करने का आदेश दिया और इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने की कसम खाई। शोक संदेश में अमीर ने पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। कुवैत के गृह मंत्री शेख फहद अल यूसुफ अल सबाह भी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया।
कैसे लगी आग?
अभी तक आधिकारिक तौर पर आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। कहा जा रहा है कि आग पहले किचन में लगी और धीरे-धीरे पूरी इमारत में फैल गई। इस इमारत को NBTC समूह ने किराए पर लिया था, जहां कंपनी से जुड़े करीब 196 लोग रहते थे। मृतकों में अधिकतर भारतीय नागरिक हैं, जो केरल, तमिलनाडु और उत्तरी भारतीय राज्यों से हैं। इसके अलावा पाकिस्तान, नेपाल और मिस्र के भी कुछ लोग मारे गए हैं।
इमारत में रह रहे थे क्षमता से ज्यादा लोग
आग तड़के लगी, जिस समय काम करके आए ज्यादातर मजदूर गहरी नींद में थे। इस वजह से लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला और ज्यादातर की दम घुंटने से मौत हो गई। इमारत से बाहर निकलने का रास्ता भी काफी संकरा था। कुवैत के गृह मंत्री ने कहा कि इमारत में रहने के दौरान आवासीय कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा था। इमारत में कुल 196 लोग रह रहे थे, जो क्षमता से काफी अधिक थे।