दुनिया का सबसे नया गणतंत्र बना बारबाडोस, शाही राज को हटाया
कैरेबियाई देश बारबाडोस क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय को राष्ट्राध्यक्ष पद से हटाकर दुनिया का सबसे नया गणतंत्र बन गया है। राजधानी ब्रिजटाउन में रातभर चले समारोह में डेम सांद्रा मेसन ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। यह समारोह देश की आजादी की 55वीं वर्षगांठ पर आयोजित किया गया था। अब यहां पर ब्रिटेन की महारानी का शासन नहीं होगा, लेकिन यह कॉमनवेल्थ देशों में शामिल रहेगा। प्रिंस ऑफ वेल्स और मशहूर गायिका रिहाना जैसी हस्तियां इस समारोह में शामिल हुई थीं।
1966 में मिली थी बारबाडोस को आजादी
72 वर्षीय सांड्रा मेसन 2018 से बारबाडोस की गवर्नर जनरल थीं। पिछले महीने संसद में पारित प्रस्ताव में उन्हें राष्ट्रपति के तौर पर नामित किया गया था और अब वो महारानी को हटाकर बारबाडोस की राष्ट्राध्यक्ष बन गई हैं। सत्ता परिवर्तन के मौके पर ब्रिटिश राजशाही को अंतिम सलामी दी गई है और शाही परिवार के झंडे को उतारकर बारबाडोस का नया झंडा फहराया गया। जानकारी के लिए बता दें कि बारबाडोस 1966 में ब्रिटिश साम्राज्य से आजादा हुआ था।
प्रिंस चार्ल्स ने बताया ऐतिहासिक मौका
सम्मानित अतिथि के तौर पर समारोह में शामिल हुए प्रिंस चार्ल्स ने कहा कि संवैधानिक दर्जे में बदलाव के बावजूद दोनों देशों के बीच संबंध पहले की तरह जारी रहेंगे। वो समारोह में हिस्सा लेने के लिए खासतौर पर ब्रिजटाउन पहुंचे थे। उन्होंने इस मौके को ऐतिहासिक करार देते हुए बताया कि महारानी ने बारबाडोस के निवासियों की खुशी, शांति और समृद्धि के लिए शुभकामनाएं भेजी हैं और कहा है कि यह देश उनके दिल में खास जगह रखता है।
रिहाना को राष्ट्रनायक घोषित किया गया
समारोह में बारबाडोस की प्रधानमंत्री मिया मोटले ने ऐलान किया कि राष्ट्रपति रिहाना को राष्ट्रीय हीरो घोषित करेंगी। इससे पहले रिहाना को 2018 में बारबाडोस का एंबेसडर घोषित किया गया था। बता दें कि फोर्ब्स मैगजीन ने इसी साल 33 साल की रिहाना को दुनिया की सबसे अमीर महिला संगीतकार घोषित किया था। 17 साल की उम्र से अपना करियर शुरू करने वालीं रिहाना ग्रैमी समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने नाम कर चुकी हैं।
कब से चल रही है गणतंत्र बनने की प्रक्रिया?
सबसे पहले 1979 में बारबाडोस में गणतंत्र व्यवस्था बनने की संभावना परखने के लिए कॉक्स आयोग बनाया गया था। इसने बताया कि लोग ब्रिटिश राजशाही के अधीन रहना चाहते हैं। इसके बाद 1998 में एक संवैधानिक समिति ने सिफारिश की कि बारबाडोस को गणतंत्र देश बनना चाहिए। 2015 में 50वें स्वतंत्रता दिवस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री फ्रेउंडेल स्टुअर्ट ने अपने संबोधन में कहा था कि अब राजशाही व्यवस्था से गणतंत्र की तरफ बढ़ने का समय है।
1627 में पहली बार बारबाडोस पहुंचे थे अंग्रेज
बारबाडोस इंग्लैंड के पहले गुलाम उपनिवेशों में से एक था। अंग्रेजों ने यहां पहली बार 1627 में कब्जा जमाया था। तब से लेकर 1833 के बीच यहां अफ्रीका से छह लाख से अधिक लोगों को गुलाम बनाकर लाया गया और उनसे गन्ने के खेतों में काम कराया जाता था। इससे अंग्रेजों ने भारी मुनाफा कमाया। 1834 में यहां पर गुलामी प्रथा पर रोक लगा दी गई। सैकड़ों सालों के ब्रिटिश राज के बाद 1955 में इस देश को आजादी मिली।
अब भी 15 देशों की राष्ट्राध्यक्ष हैं महारानी
बारबाडोस से पहले आखिरी बार मॉरिशस ने 1992 में महारानी को अपने राष्ट्राध्यक्ष पद से हटाया था। जानकारी के लिए बता दें कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय अब भी यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा और जमैका समेत 15 देशों की राष्ट्राध्यक्ष हैं। बारबाडोस ने जिस कॉमनवेल्थ का हिस्सा बने रहने का फैसला किया है, वह उन 54 एशियाई, अफ्रीकी, यूरोपीय और अमेरिकी देशों का समूह है, जिस पर कभी न कभी ब्रिटेन के शाही परिवार का राज रहा था।