Page Loader
शेर और बाघ कर सकते हैं परिचित और अपरिचित मानवीय आवाजों की पहचान, अध्ययन में खुलासा
बड़ी बिल्लियां कर सकती हैं अलग-अलग आवाजों की पहचान

शेर और बाघ कर सकते हैं परिचित और अपरिचित मानवीय आवाजों की पहचान, अध्ययन में खुलासा

लेखन अंजली
Feb 16, 2024
07:06 pm

क्या है खबर?

ऐसा माना जाता है कि पालतू जानवर अपने मालिकों और दूसरों की आवाज के अंतर को समझते हैं। अब एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि बाघ समेत चीता और कूगर जैसी बड़ी बिल्लियां भी परिचित और अपरिचित मानव आवाजों के बीच के अंतर को समझ सकती हैं। पीरजे लाइफ एंड एनवायरनमेंट जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, जो जानवर आमतौर पर समूह में रहने से बचते हैं, उनमें भी सामाजिक कौशल होता है।

अध्ययन

बिल्ली की विभिन्न प्रजातियों पर किया गया अध्ययन

इस अध्ययन के लिए अभयारण्यों, चिड़ियाघरों और प्रकृति संरक्षित क्षेत्रों में रहने वाली विदेशी बिल्ली की विभिन्न प्रजातियों को शामिल किया गया। 5 प्रजातियों की 7 बिल्लियों के साथ प्रारंभिक अध्ययन करने के बाद शेर, बाघ, क्लाउडेड तेंदुए, हिम तेंदुए और सर्वल सहित 10 प्रजातियों की 24 बिल्लियों पर एक बड़ा अध्ययन किया गया। शोधकर्ताओं ने प्रत्येक बिल्ली को 3 अपरिचित मानव आवाजों की ऑडियो रिकॉर्डिंग के बाद एक परिचित आवाज और एक अन्य अपरिचित आवाज सुनाई।

परिणाम

अध्ययन में आया ये सामने

टीम ने प्रत्येक प्लेबैक के जवाब में बिल्लियों की प्रतिक्रियाओं और व्यवहारों को रिकॉर्ड किया और उनका विश्लेषण किया, जिसमें सिर की गति, आवाज की ओर या उससे दूर जाना या गुर्राना आदि शामिल हैं। उन्होंने पाया कि लिंग या पालन-पोषण से परे बड़ी बिल्लियों ने 4 अपरिचित आवाजों की तुलना में एक परिचित आवाज पर अधिक तेजी से और लंबी अवधि तक प्रतिक्रिया दी। इस अध्ययन के सह-लेखक जेनिफर वोंक ने कहा, "नतीजे बिल्कुल स्पष्ट थे।"

बयान

जंगली जानवरों में अपने घर की सुरक्षा के लिए होती है यह क्षमता- जेनिफर वोंक

अमेरिका के मिशिगन राज्य के ऑकलैंड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर जेनिफर वोंक ने बताया कि अपनी संतानों को पहचानने और रहने की जगह की निगरानी करने के लिए जंगली जानवरों में सामजिक क्षमता आवश्यक होती है। निष्कर्षों से पता चलता है कि व्यक्तिगत मानवीय आवाजों को पहचानने की क्षमता केवल पालतू जानवरों में नहीं होती, बल्कि मनुष्यों के नियमित संपर्क के कारण भी विकसित हो सकती है।

सीमाएं

अध्ययन की रहीं ये सीमाएं

जेनिफर का मानना है कि अगर जंगली बिल्लियां एक जैसी मानवीय आवाजें बार-बार सुनेंगी तो इसी तरह के परिणाम सामने आएंगे। हालांकि, उन्होंने अध्ययन की सीमाओं को स्वीकार किया, जैसे छोटे नमूने का आकार। इसका मतलब है कि टीम प्रजातियों के आधार पर परिणामों को अलग नहीं कर सकती है। इसके अतिरिक्त इसमें सभी बिल्लियों को कैद में रखा गया था, जिनमें से अधिकांश को वहीं पाला गया था।