
महाबलीपुरम में जिस पत्थर के पास मोदी-जिनपिंग मिले, वह 1,300 साल पुराना है, जानें उसकी ख़ासियत
क्या है खबर?
शुक्रवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तमिलनाडु के महाबलीपुरम में मुलाक़ात की।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दोनों ने एक ऐतिहासिक पत्थर के नीचे मुलाक़ात की। इस ऐतिहासिक पत्थर को 'कृष्णा बटर बॉल' के नाम से जाना जाता है।
यह ऐतिहासिक पत्थर लगभग 1,300 साल पुराना है और चेन्नई से लगभग 56 किलोमीटर दूर महाबलीपुरम में स्थित है।
आइए इसकी ख़ासियत जानें।
स्थिति
ढलान वाली पहाड़ी पर 45 डिग्री के कोण पर बिना लुढ़के टिका हुआ है पत्थर
आपको जानकर काफ़ी हैरानी होगी कि कुछ लोग इस पत्थर को रहस्यमयी भी मानते हैं, जो एक ढलान वाली पहाड़ी पर 45 डिग्री के कोण पर बिना लुढ़के 1,300 साल से टिका हुआ है।
ख़बरों के अनुसार, इतिहास में इस पत्थर को हटाने के भी कई प्रयास किए गए, लेकिन सभी प्रयास असफल साबित हुए।
इस वजह से पत्थर को लेकर लोगों के बीच कई तरह की किवदंतियाँ प्रचलित हो गईं हैं।
इतिहास
पत्थर को हटाने के लिए लगाए गए थे सात हाथी
जानकारी के अनुसार कृष्णा बटर बॉल को हटाने का पहला प्रयास सन 630 से 668 के बीच हुआ था। उस समय दक्षिण भारत पर पल्लव शासक नरसिंह वर्मन का शासन था।
उनका मानना था कि यह पत्थर स्वर्ग से गिरा है, इसलिए मूर्तिकार इसे छू न सकें।
दूसरी बार 1908 में पत्थर को हटाने का प्रयास मद्रास के गवर्नर आर्थर लावले ने किया था। उस समय इसे हटाने के लिए सात हाथियों को लगाया गया था, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
ख़ासियत
फ़िजिक्स के ग्रेविटी के नियमों के ख़िलाफ टिका हुआ है पत्थर
पत्थर आकार में 20 फीट ऊँचा और पाँच मीटर चौड़ा है। इस पत्थर का वजन लगभग 250 टन बताया जाता है।
अपने विशाल आकार के बाद भी कृष्णा की यह बटर बॉल फ़िजिक्स के ग्रेविटी के नियमों के ख़िलाफ है।
ये अनोखा पत्थर पहाड़ी की चार फीट की सतह पर पिछले 1,300 सालों से एक ही जगह पर टिका हुआ है।
देखने पर ऐसा लगता है कि यह पत्थर किसी भी पल लुढ़क सकता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है।
महत्व
पत्थर का है धार्मिक महत्व
पत्थर के बारे में कई वैज्ञानिकों ने अपने विचार दिए, लेकिन अब तक किसी ने सही वजह नहीं बताई है।
वहीं, भूवैज्ञानिकों का मानना है कि धरती में आए प्राकृतिक बदलाव की वजह से इस आकार के पत्थर का निर्माण हुआ है।
हिंदू धर्म के लोग इसे भगवान श्रीकृष्ण द्वारा चुराए गए मक्खन के ढेर के रूप में मानते हैं, जो धीरे-धीरे समय के साथ सूखकर पत्थर में तब्दील हो गया और इसका नाम कृष्णा बटर बॉल पड़ गया।