चेन्नई: समुद्र से प्लास्टिक को इकट्ठा करके की जा रही कलाकारी, जागरूकता फैलना के लिए मुहिम
समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन गया है। कई लोग न केवल इसका विरोध कर रहे हैं, बल्कि इसके साफ करने के लिए कोशिश भी कर रहे हैं। हाल ही में समुद्र तटों को साफ रखने और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए चेन्नई में अधिकारियों ने समुद्र के आसपास मौजूद प्लास्टिक को इकट्ठा करके उन्हें कला का रूप देना शुरू कर दिया है। यह कला बीसेंट नगर के समद्र तट पर प्रदर्शित है।
मेगा बीच क्लीन-अप कार्यक्रम के दौरान उठाया गया है यह कदम
IAS अधिकारी सुप्रिया साहू ने अपने ट्विटर अकाउंट से आर्ट इंस्टालेशन का एक वीडियो साझा करते हुए पोस्ट में लिखा, 'हमने आज मेगा बीच क्लीन-अप कार्यक्रम को चिह्नित करने के लिए चेन्नई के बीसेंट नगर के समुद्र तट पर समुद्र से मिले प्लास्टिक के कचरे से इस इंस्टॉलेशन को लगाया है। यह न केवल समुद्र में मौजूद प्रदूषण की दुखद वास्तविकता को चित्रित करता है, बल्कि समुद्री जैव विविधता के लिए गंभीर खतरे को भी प्रस्तुत करता है।'
सुप्रिया साहू का ट्विटर पोस्ट
लोगों द्वारा पसंद किया जा रहा है यह वीडियो
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि समुद्र से मिले प्लास्टिक के कचरे से मछली के आकार की कला इंस्टालेशन की गई है। इसमें बच्चों के खिलौनों से लेकर घर में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की बाल्टी और खाने के डिब्बे शामिल हैं। यह वीडियो अभी 2 दिन पहले शेयर किया गया था। शेयर किए जाने के बाद से इसे करीब 1,000 से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं और इसे लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं शेयर कर रहे हैं।
वीडियो देखकर लोगों ने क्या कहा?
एक यूजर ने लिखा, 'बहुत बढ़िया। हमारे समुद्रों और महासागरों में प्लास्टिक को बढ़ने से रोकने के लिए और अधिक जागरूकता और कार्रवाई की आवश्यकता है क्योंकि ये प्लास्टिक समुद्री मछलियों को नुकसान पहुंचाती है।' एक अन्य यूजर ने लिखा, 'अच्छी पहल। कृपया समुद्र तट के अंदर खाने-पीने और अन्य स्टालों को रखने से भी बचें। वे प्रदूषण का मुख्य कारण हैं। हाल ही में मैं अपने सर्वकालिक पसंदीदा समुद्र तट पर गया था और ऐसा देखकर बुरा लगा।'
पिछले साल 1 जुलाई से सिंगल-यूज प्लास्टिक पर लगा हुआ है प्रतिबंध
दुनियाभर के प्लास्टिक कचरे में सिंगल-यूज प्लास्टिक का एक बड़ा हिस्सा है और 2019 में 13 करोड़ मीट्रिक टन सिंगल-यूज प्लास्टिक फैंकी गई थी। इस दर से 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 5-10 प्रतिशत हिस्सेदारी सिंगल-यूज प्लास्टिक की होगी, जो एक बड़ी चिंता का विषय है। भारत में भी हर साल सिंगल-यूज प्लास्टिक का 56 लाख मीट्रिक टन कचरा पैदा होता है, इसलिए 1 जुलाई, 2022 को प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया।