बिहार: 23 साल में 20,000 पोस्टमॉर्टम कर चुकी है यह महिला, जानिए प्रेरणादायक कहानी
जहां कई लोग एक शव को देखकर ही घबरा जाते हैं, वहीं बिहार की मंजू देवी का जीवन एक तरह से शवों के बीच गुजरा है। उनकी कहानी दुनियाभर के लिए एक मिसाल है। कम उम्र में मंजू की शादी हो गई थी और 26 साल की उम्र में ही वह 5 बच्चों की मां बन गईं, लेकिन जब उनके पति की असमय मृत्यु हुई तो मंजू को अपना घर चलाने के लिए पोस्टमॉर्टम सहायक की नौकरी करनी पड़ी।
मंजू को मजबूरी में चुननी पड़ी पोस्टमॉर्टम सहायक की नौकरी
बेशक पोस्टमॉर्टम चिकित्सकीय क्षेत्र में एक जरूरी प्रक्रिया है, लेकिन कई लोग इसका नाम सुनते ही डर जाते हैं, खासतौर से महिलाएं तो ऐसी नौकरी करने के बारे में सोचती भी नहीं हैं। हालांकि, मंजू ने अपने डर और समाज की बातों को अनदेखा करते हुए अपने बच्चों को पालने के लिए इस नौकरी को चुन लिया। मीडिया से बातचीत करते हुए मंजू ने बताया कि वह 23 साल में 20,000 शवों का पोस्टमॉर्टम कर चुकी हैं।
3 पोस्टमॉर्टम को आज तक भुला नहीं पाई हैं मंजू
मंजू 20,000 में से 3 पोस्टमॉर्टम को आज तक नहीं भुला पाई हैं। इसमें से एक उनकी नौकरी के पहले दिन का है, जब उनसे एक मृत युवा की अंदरुनी जांच के लिए उसके सिर को खोलने और शरीर को काटने के लिए कहा गया। इसके बाद एक स्थानीय गुंडे का पोस्टमॉर्टम था, जिसके साथियों ने गुस्से में आकर शव गृह में तहलका मचा दिया था। तीसरा भी एक युवा से जुड़ा है, जिसकी मृत्यु जलने के कारण हुई थी।
नौकरी के पहले दिन को भूलना है कठिन- मंजू
मीडिया से बातचीत करते हुए मंजू ने बताया कि वह नौकरी करने को तैयार थीं, लेकिन उन्हें अपना पहला ही पोस्टमॉर्टम मामला बड़ा ही डरावना लगा। उन्होंने बताया, "उस समय मौजूद डॉक्टर के निर्देशानुसार मैनें उस मृत युवा का सिर और शरीर खोल दिया, लेकिन उस दिन मैं न तो कुछ खा पाई और न ही रात को सो पाई। मेरा पूरा ही दिन बेचैनी में निकला।" हालांकि, अब मंजू इस काम में माहिर हो गई हैं।
मंजू ने अपने बच्चों को पालने में नहीं छोड़ी कोई कसर
मंजू का जीवन बहुत चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन उन्होंने अपने 5 बच्चों को पालने और उन्हें पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मंजू के बेटे संगीत में पोस्ट ग्रेजुएट हैं और अब एक संगीत केंद्र चलाते हैं, जबकि उनकी बेटियां पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ-साथ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। मंजू के बेटे और बेटियों का कहना है कि उनकी मां ने बहुत कष्ट सहे हैं और वे उन पर गर्व करते हैं।