व्यक्ति ने अस्पताल से मांगा अरबों का मुआवजा, कहा- पत्नी की डिलीवरी देखकर हुआ बीमार
क्या है खबर?
आजकल गर्भवती महिला की C-सेक्शन डिलीवरी के समय परिवार के एक सदस्य को साथ रखने की अनुमति होती है, ताकि वे बच्चे के जन्म को देख सकें और प्रक्रिया के दौरान महिला का समर्थन कर सकें।
ऑस्ट्रेलिया निवासी एक व्यक्ति भी अपनी पत्नी के C-सेक्शन डिलीवरी के समय कमरे में मौजूद था।
हालांकि, डिलीवरी के सालों बाद उसने दावा किया कि इससे उसे मानसिक बीमारी हो गई, इसलिए उसने अस्पताल पर मुकदमा दायर किया।
आइये पूरी खबर जानते हैं।
मामला
क्या है मामला?
मुकदमा दायर करने वाले व्यक्ति का नाम अनिल कोप्पुला है।
2018 में मेलबर्न के रॉयल महिला अस्पताल में उनकी पत्नी ने C-सेक्शन के जरिये से बच्चे को जन्म दिया, जिसे उन्होंने खुद देखा था।
इस सफल ऑपरेशन के कई सालों बाद अनिल ने अस्पताल के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि ऑपरेशन देखने से उन्हें मानसिक बीमारी हो गई।
उन्होंने यह भी कहा कि इस अनुभव से उनकी शादी भी टूट गई है।
मुकदमा
अनिल ने अस्पताल पर क्या आरोप लगाएं?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुकदमे के दस्तावेजों में अनिल ने अस्पताल पर आरोप लगाया है कि उन्हें डिलीवरी दिखने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। इस दौरान उन्हें अपनी पत्नी के आंतरिक अंग और खून दिखा।
अनिल का दावा है कि अस्पताल ने देखभाल के अपने कर्तव्यों का उल्लंघन किया है। इसलिए अस्पताल को उसे मुआवजा देना चाहिए। उन्होंने मुआवजे में 530 करोड़ रुपये मांगे।
अनिल इस मामले को लेकर कोर्ट चले गए, लेकिन वहां उन्हें कामयाबी नहीं मिली।
फैसला
अस्पताल की बात सुनकर कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान अस्पताल ने अनिल के दावों का खारिज किया है।
अस्पताल ने कहा, "अस्पताल की तरफ से देखभाल के कर्तव्य का उल्लंघन नहीं किया गया है और अनिल का उस दौरान किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ और न ही कोई चोट लगी।"
अस्पताल की इस बात पर कोर्ट भी सहमत हुआ और जज ने अनिल के दावों को प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए मुकदमा खारिज कर दिया।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
C-सेक्शन या सिजेरियन सेक्शन मां के पेट में चीरा लगाकर बच्चे की सर्जिकल डिलीवरी को कहते हैं।
यह तब किया जाता है, जब महिला की सामान्य डिलीवरी संभव नहीं हो पाती है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे बच्चे का गलत पोजीशन में होना, आकार में बड़ा होना, बच्चे की सेहत ठीक न होना और संक्रमण आदि।
आज के समय में इस तरह की डिलीवरी का चलन तेजी से बढ़ रहा है।