आग फेंकने से सिर पर लाठी मारने तक, ये हैं भारतीय त्योहारों की कुछ अजीब परंपराएं
क्या है खबर?
भले ही भारत के विभिन्न हिस्सों में संस्कृति, खान-पान, भाषा और रहने का तरीका अलग-अलग हो, लेकिन त्योहार लोगों को एकसाथ लाते हैं।
हालांकि, क्या आप जानते हैं कि कुछ अनसुने और प्राचीन त्योहारों की परंपराएं अभी भी प्रचलित हैं। फिर चाहें आग को लोगों पर फेंकना हो या लोगों के सिर पर लाठी मारनी हो।
आइए आज हम आपको देशभर के कुछ अनोखे उत्सवों की अजीब परंपराओं के बारे में बताते हैं।
#1
टोकरी से मछली पकड़ने का त्योहार
कश्मीर के पंजथगांव में हर साल मई के महीने में धान के खेतों की जुताई से पहले गांव के बुजुर्ग मछली पकड़ने जाने के लिए एक दिन चुनते हैं।
ऐसा माना जाता है कि चुना हुआ दिन पूर्वजों की आत्माओं को खुश करने वाला होता है। इस अवसर पर बुजुर्ग प्राचीन कश्मीरी टोकरी का इस्तेमाल करके मछली पकड़ते हैं।
इसके अलावा कब्रिस्तान में जाकर अपने परिजनों की कब्रों पर चावल और फूल अर्पित करते हैं।
#2
बानी त्योहार
हर साल दशहरे के मौके पर यह त्योहार आंध्र प्रदेश के देवरगट्टू मंदिर में मनाया जाता है।
इस त्योहार पर सैकड़ों लोग आधी रात के समय मंदिर में इकट्ठा होकर एक दूसरे के सिर पर लाठी मारते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव द्वारा एक राक्षस का वध करने उपलक्ष्य में 100 साल से अधिक सालों से यह त्योहार मनाया जा रहा है।
पहले लोग इस त्योहार पर लाठियों की बजाय कुल्हाड़ी और भाले का इस्तेमाल करते थे।
#3
अग्नि केली
यह कर्नाटक का 8 दिवसीय त्योहार है और इस अवसर पर दुर्गापरमेश्वरी मंदिर के भक्त एक-दूसरे पर आग वाली मशालें फेकते हैं।
हैरानी की बात यह है कि लोग इस साहसिक परंपरा से डरते नही हैं और पूरे जोश के साथ इसका हिस्सा बनते हैं।
मान्यता है कि इस परंपरा का हिस्सा बनने से सारे कष्ट और आर्थिक तंगी दूर हो जाती है। यही वजह है कि काफी सालों से वहां के लोग इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं।
#4
मेड स्नाना
अग्नि केली के अलावा मेड स्नाना नाम का एक और त्योहार है, जिसका परंपरा आपको हैरान कर सकती है।
यह त्योहार कुक्के सुब्रमण्यम मंदिर में आयोजित किया जाता है और इस अवसर पर निचली जातियों के लोग केले के पत्तों पर ब्राह्मणों के बचे हुए भोजन को लुढ़कते हुए देखते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस परंपरा को निभाने से विभिन्न बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है।
#5
सूफी उत्सव
राजस्थान में मनाए जाने वाले इस उत्सव को मनाने के लिए दुनियाभर से लोग इकट्ठा होते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस उत्सव में ऐसे सूफी गाने या कविताएं गाई जाती हैं, जिससे व्यक्ति इतना मंत्रमुग्ध हो जाता है कि उसे किसी भी चीज का होश नहीं रहता।
इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो नहीं पता, लेकिन इस उत्सव को काफी सालों से मनाया जा रहा है।