दशहरा कब है? जानिए इस त्योहार का शुभ मुहूर्त, इतिहास और अन्य महत्वपूर्ण बातें
दशहरा शारदीय नवरात्रि के अंत का प्रतीक है और इस त्योहार के बाद से दिवाली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। सही तारीख की बात करें तो इस बार बुराई पर सच्चाई की जीत का पर्व विजयादशमी यानी दशहरा 24 अक्टूबर को है। इस मौके पर देशभर में रावण दहन का भव्य उत्सव मनाया जाता है। आइए आज हम आपको दशहरे का शुभ मुहूर्त, इसका इतिहास और इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बताते हैं।
दशहरा क्यों मनाया जाता है?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण लंका का एक राजा था, जिसने भगवान राम की पत्नी सीता का अपहरण किया और उन्हें अपने राज्य लंका ले गया। वहां उसने सीता को बंधक बना लिया। इसके बाद भगवान राम ने अपनी वानर सेना के साथ लंका पर चढ़ाई और युद्ध के 10वें दिन रावण का वध किया। तब से देशभर में इस दिन को दशहरे के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
दशहरे का शुभ मुहूर्त
दशहरा तिथि को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिसमें बिना किसी मुहूर्त के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। फिर भी विजयादशमी की पूजा के लिए मुख्य रूप से 3 मुहूर्त सबसे शुभ हैं: विजय मुहूर्त: दोपहर 01:58 से लेकर 02:43 बजे तक अमृत काल: सुबह 10:40 मिनट से लेकर दोपहर 2:08 बजे तक राहु काल: दोपहर 03:31 से लेकर शाम 05:04 बजे तक अपराह्न पूजा का समय दोपहर 01:19 से लेकर 03:37 बजे तक का है।
बुराई पर अच्छाई के महत्व को बयां करता है यह त्योहार
दशहरा एक अनुस्मारक है कि चाहे कुछ भी हो जाए, अच्छाई की हमेशा बुराई पर जीत होती है। यह त्योहार अच्छाई की जीत का जश्न मनाने और बुराई के सभी रूपों से लड़ने की हमारी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का समय है। इसी दिन मां दुर्गा ने 9 दिन की लड़ाई के बाद महिषासुर का वध किया था। इस वजह से यह दिन बुराई पर अच्छाई का महत्व समझाता है।
दशहरा मनाने का तरीका
उत्तर भारत में दशहरा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और नवरात्रि के 9 दिनों में रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें नाटकीय रूप में भगवान राम की कहानी को दर्शाया जाता है। इसका समापन दशहरा या विजयादशमी के दिन नाटकीय रूप में रावण के वध और उसके आदमकद पुतले को मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतलों के साथ जलाने से होता है। इस अवसर पर जलेबी खाना शुभ माना जाता है।