कौन हैं 10 साल के शौर्यजीत, जो 36वें राष्ट्रीय खेलों में बने सबसे युवा पदक विजेता?
क्या है खबर?
मुसीबतें हम सभी के जीवन में आती हैं। ज्यादातर लोग परेशानियों में घिरकर टूट जाते हैं और कुछ ऐसे होते हैं जो उन्हें चुनौती बनाकर अलग पहचान बना जाते हैं।
शौर्यजीत खैरे भी ऐसे ही दृढ़ निश्चय के प्रतीक हैं जिन्होंने केवल 10 वर्ष की उम्र में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करवा लिया है।
उन्होंने राष्ट्रीय खेलों में मलखंब में अपने हुनर का प्रदर्शन कर इतिहास रच दिया है।
आइये जानते हैं उनकी उपलब्धि के बारे में।
उपलब्धि
शौर्यजीत के नाम दर्ज हुई ये उपलब्धि
गुजरात में आयोजित हो रहे 36वें राष्ट्रीय खेलों में स्थानीय खिलाड़ी शौर्यजीत ने मलखंब प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने कांस्य पदक जीता और पदक जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी (मलखंब स्पर्धा) बन गए हैं।
अपने कौशल से उन्होंने स्टेडियम में मौजूद हर व्यक्ति का दिल जीत लिया। सबने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ हौसला बढ़ाया।
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर उनके खेल की प्रशंसा करने से खुद को नहीं रोक सके।
ट्विटर पोस्ट
वीडियो में देखिए शौर्यजीत के करतब
10 year old Shauryajit from #Gujarat is the youngest #Mallakhamb player in the #NationalGames2022 #36thNationalGames is a powerhouse of talent .
— Gujarat Information (@InfoGujarat) October 7, 2022
जीतेगा 🇮🇳 जुड़ेगा 🇮🇳 pic.twitter.com/f6xEFCdLmi
संघर्ष
पिता के निधन से भी नहीं टूटा ये नन्हा खिलाड़ी
जिस उम्र में बच्चे खेलकूद में व्यस्त रहते हैं, उस उम्र में शौर्यजीत ने अपने जीवन को दिशा देकर एक मिसाल पेश की है।
हालांकि, उनका सफर काफी कठिन रहा है। 10 दिन पहले ही उनके पिता का देहान्त हुआ था।
इस मुश्किल वक्त में भी इस बच्चे ने खेल के प्रति अपना ध्यान केंद्रित रखते हुए पदक जीतने में कामयाबी हासिल की।
इस मुश्किल हालात में उनकी मां और कोच ने उन्हें प्रेरित किया और उन्होंने इतिहास रच दिया।
लक्ष्य
एक दिन में पिता का अंतिम संस्कार कर वापस अभ्यास करने लौटे
शौर्यजीत के पिता का सपना था उनका बेटा राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा ले और पदक जीते।
पिता का सपना पूरा करने के लिए ये नन्हा खिलाड़ी काफी दिनों से तैयारी कर रहा था।
इसी बीच 30 सितंबर को उनके पिता का देहान्त हो गया, इस खबर से वे काफी टूट गए, लेकिन अपने लक्ष्य से नहीं भटके।
कोच से एक दिन की छुट्टी लेकर वे घर (वड़ोदरा) गए और फिर से तैयारी के लिए वापस अहमदाबाद लौट आए।
बयान
मैं उनका (पिता) सपना जरूर पूरा करूंगा- शौर्यजीत
अपने प्रदर्शन के बाद शौर्यजीत ने गर्वित होकर अपनी भावनाएं जाहिर की।
उन्होंने कहा, "लोगों ने जिस तरह से मेरा हौसला बढ़ाया, ये देखकर काफी गर्व महसूस कर रहा हूं। मेरे पिता का सपना था कि मैं राष्ट्रीय खेलों में भाग लूं और स्वर्ण पदक जीतूं। मैं उनके सपने को जरूर पूरा करूंगा।"
जानकारी
काफी कठिन माना जाता है मलखंब का खेल
मलखंब एक कठिन खेल माना जाता है, इसमें कड़े अभ्यास के साथ ही शरीर के लचीले होने की आवश्यकता होती है।
प्रदर्शन के दौरान खिलाड़ी को लकड़ी के एक खंबे पर अलग-अलग मुद्राओं में करतब दिखाना होता है।
खिलाड़ी को प्रदर्शन के दौरान काफी संतुलन रखना होता है, क्योंकि इस खेल में चोट लगने की अधिक संभावना होती है। हल्की सी लापरवाही भी खिलाड़ी को जीवनभर के लिए इस खेल से दूर कर सकती है।