
भारत में जन्में रणजीत सिंहजी ने इंग्लैंड से खेले थे 15 टेस्ट, ऐसा रहा उनका करियर
क्या है खबर?
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कुछ ऐसे खिलाड़ी हुए हैं, जिन्होंने 2 देशों से क्रिकेट खेला है।
दूसरी तरफ कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हुए हैं, जो अपने देश से नहीं खेल पाए और दूसरे देश का प्रतिनिधित्व किया है।
भारत में जन्में रणजीत सिंहजी विभाजी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इंग्लैंड क्रिकेट टीम से खेला था।
उन्होंने अपने पहले टेस्ट में ही शतक लगाने का कारनामा कर दिखाया था।
आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
परिचय
1872 में जन्में थे रणजीत
रणजीत का जन्म 10 सितंबर, 1872 को पश्चिमी भारतीय प्रांत काठियावाड़ के नवानगर राज्य में हुआ था। तब ब्रिटिश अधीन भारत विभिन्न रियासतों में बंटा हुआ था।
उन्होंने 1891 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की ओर से क्रिकेट में नाम कमाया। इसके बाद 1895 में उन्होंने ससेक्स की ओर से अपने प्रथम श्रेणी करियर की शुरुआत की थी।
घरेलू क्रिकेट में निरंतर रन बनाने के बाद उन्हें जल्द ही 1896 में इंग्लैंड की सीनियर टीम में जगह मिल गई थी।
एशेज
अपने डेब्यू एशेज टेस्ट में जड़ा था शतक
दाएं हाथ के बल्लेबाज रणजीत ने अपना पहला टेस्ट ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के खिलाफ 1896 की एशेज सीरीज में खेला था।
इसके साथ ही वह इंग्लैंड की ओर से खेलने वाले पहले एशियाई खिलाड़ी बने थे।
अपने डेब्यू टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 62 रन और दूसरी पारी में नाबाद 154 रन बनाए थे।
वह ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों के सामने डटकर खड़े रहे थे। दोनों पारियों में उन्होंने नंबर-3 पर आकर बल्लेबाजी की थी।
लेखा-जोखा
रणजीत के शतक के बावजूद हारा था इंग्लैंड
रणजीत के शतक के बावजूद इंग्लैंड को उस टेस्ट में हार मिली थी।
मैनचेस्टर में खेले गए उस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 412 का स्कोर बनाया था। जवाब में इंग्लैंड की टीम 231 रन पर ही ढेर हो गई थी।
इसके बाद फॉलऑन खेलने पर मजबूर इंग्लिश टीम ने दूसरी पारी में सभी विकेट खोकर 305 रन बनाए थे।
आखिर में ऑस्ट्रेलिया ने जीत के लिए मिले 125 रन के लक्ष्य को हासिल किया था।
करियर
रणजीत ने खेले इंग्लैंड से 15 टेस्ट
अपने डेब्यू टेस्ट में कमाल करने वाले रणजीत ने इंग्लैंड की ओर से कुल 15 टेस्ट खेले, जिसमें 44.95 की औसत के साथ 989 रन बनाए थे। इस बीच उन्होंने 2 शतक और 6 अर्धशतक लगाए थे।
उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच 1902 में खेला था।
उन्होंने अपने प्रथम श्रेणी करियर में 307 मैच खेले, जिसमें 56.37 की औसत के साथ 24,692 रन अपने नाम किए थे। इस बीच उन्होंने 72 शतक और 109 अर्धशतक भी लगाए थे।
रणजी ट्रॉफी
रणजीत के नाम पर रखी गई रणजी ट्रॉफी
इंग्लैंड से 15 टेस्ट खेलने के बाद वह भारत वापस लौटे और 1907 में नवानगर के महाराज बने। साल 1933 में 60 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था।
भले ही रणजीत ने भारत की ओर से क्रिकेट नहीं खेला हो, लेकिन वह टेस्ट क्रिकेट में शिरकत करने वाले भारत में जन्में खिलाड़ी थे।
ऐसे में उनके नाम पर ही भारत के प्रतिष्ठित टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी का नाम रखा गया था, जो आज भी खेला जाता है।