साइना नेहवाल की सफलता में अहम भूमिका निभा चुके हैं गोपीचंद, जानिए गुरु-शिष्या की रोचक बातें
क्या है खबर?
भारतीय बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल ने लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। उनके इस इतिहास रचने में पूर्व खिलाड़ी और वर्तमान कोच पुलेला गोपीचंद की अहम भूमिका रही।
एक गुरु तब ही सफल हो पाता है जब उसका शिष्य मंजिल हासिल कर लेता है। ऐसे ही गुरु गोपीचंद के मार्गर्दशन में शिष्या साइना ने सफलता का शिखर छूआ है।
साइना के बैडमिंटन करियर में गोपीचंद के योगदान पर चर्चा करते हैं।
शुरुआत
गोपीचंद ने युवा साइना को चैंपियन बनाया
गोपीचंद ने साइना की प्रतिभा को तराशकर उन्हें सफलता के मुकाम तक पहुंचाया।
एक दौर था जब चीनी शटलर्स का बैडमिंटन में वर्चस्व था तब साइना ने विश्व स्तर पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाई।
गोपीचंद के देख-रेख में ही साइना ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में बतौर अनसीडेड खिलाड़ी हिस्सा लिया और क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ सकी। हार के बावजूद साइना ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल तक जाने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनी थी।
लंदन ओलंपिक
गोपीचंद की देखरेख में साइना ने रचा इतिहास
साल 2000 में हुए सिडनी ओलंपिक में गोपीचंद ने हिस्सा लिया, लेकिन वह तीसरे दौर से आगे नहीं बढ़ सके थे। उनका ओलंपिक पदक का सपना उनकी शिष्या ने पूरा किया।
2012 में साइना, ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं थी।
लंदन ओलंपिक में, साइना ने कांस्य पदक जीता था। तब कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में विपक्षी शटलर वांग शिन चोट के कारण मैच पूरा नहीं खेल सकी थी।
बैडमिंटन करियर
ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीत चुके हैं गोपीचंद
पुलेला गोपीचंद 2001 में ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीतने वाले प्रकाश पादुकोण के बाद दूसरे भारतीय बने थे। बता दें पादुकोण ने 1980 में यह प्रतिष्ठित खिताब अपने नाम किया था।
गोपीचंद ने ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के फाइनल में चेन होंग को हराया था। वहीं सेमीफाइनल में उन्होंने विश्व के नंबर एक पीटर गाडे को हराया था।
गोपीचंद ने लगातार पांच सालो (1996-2000) तक भारतीय राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप जीती।
गोपीचंद
वर्तमान में चीफ नेशनल कोच की भूमिका में हैं गोपीचंद
गोपीचंद ने साइना के अलावा पीवी सिंधु, पारुपल्ली कश्यप, किदाम्बी श्रीकांत और गुरुसाई दत्त जैसे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी है। वह इस समय भारतीय बैडमिंटन के चीफ नेशनल कोच की भूमिका में हैं।
गोपीचंद को बैडमिंटन में अपने अतुल्य योगदान के लिए 2005 में पदम् श्री और 2014 में पदम् भूषण भी मिल चुका है। इसके अलावा वह 2009 में द्रोणचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं।