न्यूजीलैंड के ग्रेग बार्कले चुने गए ICC के नए चेयरमैन
व्यावसायिक वकील और 2012 से न्यूजीलैंड क्रिकेट के डॉयरेक्टर के पद पर तैनात ग्रेग बार्कले को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है। वह भारत के शशांक मनोहर के बाद ICC के दूसरे स्वतंत्र चेयरमैन बने हैं। बार्कले इस जुलाई में मनोहर का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद अंतरिम चेयरमैन बने इमरान ख्वाजा की जगह लेंगे। बार्कले का कार्यकाल दो साल का होगा। एक चेयरमैन अधिकतम तीन बार अपने पद पर रह सकता है।
खेल के भविष्य के लिए गंभीरता से काम करने को प्रतिबद्ध हूं- बार्कले
बार्कले ने कहा कि ICC चेयरमैन नियुक्त होना उनके लिए गर्व की बात है और वह अपने साथी ICC डॉयरेक्टर्स का सपोर्ट के लिए धन्यवाद करना चाहेंगे। उन्होंने आगे कहा, "उम्मीद करता हूं कि हम एक साथ मिलकर काम करेंगे ताकि खेल को आगे बढ़ा सकें और वैश्विक महामारी के इस बुरे दौर से आगे बढ़ सकें। मैं खेल संरक्षक के अपने पद को गंभीरता से लेता हूं और खेल के अच्छे भविष्य के लिए काम करने को प्रतिबद्ध हूं।"
आर्केन वोटिंग में बार्कले को चाहिए थे 16 में से 11 वोट
आर्केन वोटिंग प्रोसेस में बार्कले को 16 में 11 वोट हासिल करने थे। इन वोटों में 12 ICC के फुल मेंबर्स, तीन एसोसिएट देशों को रिप्रजेंट कर रहे मेंबर्स और एक स्वतंत्र महिला डॉयरेक्टर इंद्र नूई का था। बार्कले को 11 वोट मिले हैं।
बार्कले के पास है कई पदों पर रहने का अनुभव
2015 क्रिकेट विश्व कप के दौरान बार्कले ने डॉयरेक्टर की भूमिका निभाई थी। वह नार्थर्न डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन के बोर्ड मेंबर और चेयरमैन भी रह चुके हैं। वह कंपनियों में भी डॉयरेक्टर की भूमिका निभा चुके हैं। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की तमाम कंपनियों के साथ वह कई बोर्ड पोजीशन में भी रह चुके हैं। न्यूजीलैंड क्रिकेट के साथ तो वह लंबे समय से बने हुए हैं और उनके पास अनुभव की कोई कमी नहीं है।
इस प्रकार चुने जाते हैं ICC चेयरमैन
ICC चेयरमैन पद के लिए किसी बोर्ड का वर्तमान या पूर्व डॉयरेक्टर, जिसने इस पोजीशन पर छह या उससे ज़्यादा साल नहीं बिताए हों, वैध होता है। हालांकि, उसके नाम को किसी मेंबर नेशन द्वारा सुझाया जाना चाहिए।
चार साल के कार्यकाल में मनोहर की BCCI से चलती रही अनबन
2015 में मनोहर BCCI अध्यक्ष बने थे और भारतीय क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन के साथ दूसरी पारी का आगाज किया था। इसके बाद नवंबर 2015 में ही वह ICC चेयरमैन बन गए और तब से लेकर अब तक BCCI के साथ उनका टकराव चल रहा था। मनोहर के चेयरमैन बनने के बाद ही BCCI को ICC से मिलने वाले रेवेन्यू में कमी आई थी और उनकी कई पॉलिसी ऐसी रहीं जो BCCI के खिलाफ गईं।