महेंद्र सिंह धोनी के खिलाफ मानहानि का क्या मामला है?
क्या है खबर?
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया गया है।
दरअसल, धोनी के पूर्व बिजनेस पार्टनर मिहिर दिवाकर और उनकी पत्नी सौम्या दास ने ये मुकदमा दर्ज कराया है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह के समक्ष 18 जनवरी को इस मामले की सुनवाई होनी है।
बता दें कि इससे पहले धोनी ने इन पार्टनर पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्जा कराया था।
आइए इस मामले को विस्तार से जानते हैं।
मांग
धोनी ने रांची में दर्ज कराया था आपराधिक मामला
हाल ही में धोनी ने दिवाकर और दास के खिलाफ रांची में आपराधिक मामला दायर किया था और उन पर कथित तौर पर लगभग 15 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
धोनी द्वारा मामला दर्ज कराने के बाद अब उनके पूर्व साझेदार ने भी मानहानि का केस दायर किया है।
दिवाकर और दास ने दावा किया है कि उनका नाम खराब किया जा रहा है और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने से रोका जाना चाहिए।
मामला
मिहिर दिवाकर और सौम्या दास ने अपनी याचिका में क्या कहा?
दिवाकर और दास ने कहा है कि अदालत के फैसला सुनाए बिना ही धोनी के वकील दयानंद शर्मा ने 6 जनवरी, 2024 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन पर कई गंभीर आरोप लगा दिए।
इन आरोपों को मीडिया में दिखाए जाने के बाद उनकी और कंपनी की छवि खराब हुई है।
उन्होंने अदालत से ये भी मांग की है कि उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर कई पोस्ट किए गए हैं, उन्हें भी हटाया जाए।
मामला
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद 2017 में हुई एक बिजनेस डील से जुड़ा है।
दरअसल, तब धोनी और अरका स्पोर्ट्स (दिवाकर और दास की कंपनी) के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके अंतर्गत देश-विदेशों में क्रिकेट की एकेडमी खोली जानी थी।
हाल ही में धोनी के वकील ने बताया था कि पार्टनरों ने शर्तों का पालन नहीं किया और उनकी जानकारी के बिना क्रिकेट एकेडमी खोली गई। इसके साथ-साथ इस मुनाफे का धोनी को कोई भी भुगतान नहीं किया गया।
केस
इन मामलों में धोनी ने दर्ज कराई थी शिकायत
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, धोनी के पक्ष ने रांची के जिला अदालत में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज ) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी।
धोनी ने आरोप लगाया कि उनके अधिकार पत्र को रद्द करने के बाद भी दिवाकर और दास ने अनुबंध में शामिल नामों के तहत कई क्रिकेट एकेडमी खोलीं।