तेजनारायण चंद्रपॉल का शानदार डेब्यू, जानिए क्रिकेट में पिता-पुत्र की खास जोड़ियों के बारे में
वेस्टइंडीज के पूर्व बल्लेबाज शिवनारायण के बेटे तेजनारायण चंद्रपॉल ने अपनी पहली टेस्ट पारी के दौरान ही अपनी काबिलियत से परिचय करा दिया है। पर्थ में पहले टेस्ट के दूसरे दिन मेजबान ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम (598/4) के विशाल स्कोर के जवाब में इस युवा बल्लेबाज ने अपनी टीम वेस्टइंडीज को अच्छी शुरुआत दी है। चंद्रपॉल ने 79 गेंदों में 51 रन की पारी खेली। आइए एक नजर डालते हैं क्रिकेट की मशहूर पिता-पुत्र की जोड़ियों पर।
पिता-पुत्र की जोड़ी का अनोखा कारनामा
2017 में तेजनारायण और शिवनारायण चंद्रपॉल दोनों ने एक ही प्रथम श्रेणी मैच में अर्धशतक जड़कर कमाल किया था। क्रिकेट में लंबे समय बाद ऐसा कारनामा देखने को मिला था। वर्ष 1931 में जॉर्ज गुन और उनके बेटे जॉर्ज वर्नोन ने नॉटिंघमशायर के लिए खेलते हुए मैच में शतक जमाए थे। पिता-पुत्र की जोड़ी का एक ही प्रथम श्रेणी (FC) मैच में इस प्रकार का कारनामा करने का ये क्रिकेट में पहला उदाहरण था।
लाला और सुरिंदर अमरनाथ
लाला अमरनाथ ने अपना टेस्ट शतक 1933 में इंग्लैंड के खिलाफ जमाया था। वह स्वतंत्र भारत के पहले कप्तान भी थे। उनके तीन बेटों ने FC क्रिकेट खेली थी, जबकि उनमें से दो ने बाद में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था। सुरिंदर अमरनाथ ने अपने डेब्यू मैच में शानदार शतक जमाया था। वे राष्ट्रीय टीम के लिए नौ मैच खेलने में कामयाब रहे थे। मोहिंदर अमरनाथ भारत की 1983 वनडे विश्व कप टीम के सदस्य थे।
क्रिस और स्टुअर्ट ब्रॉड
पूर्व बल्लेबाज क्रिस ब्रॉड ने इंग्लैंड के लिए 25 टेस्ट और 34 वनडे मैच खेले थे। वह 20,000 से अधिक प्रथम श्रेणी और 10,000 लिस्ट-A रनों के मालिक हैं। सीनियर ब्रॉड ने बाद में कमेंट्री की और फिर ICC के मैच रेफरी भी बने। उनके बेटे स्टुअर्ट ब्रॉड टेस्ट क्रिकेट में दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज हैं। उनके खाते में सभी प्रारूपों में मिलाकर 800 से अधिक विकेट दर्ज हैं।
पीटर पोलक और शॉन पोलक
पूर्व तेज गेंदबाज पीटर पोलक ने 28 टेस्ट मैचों में दक्षिण अफ्रीका का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने 24.18 के अविश्वसनीय औसत के साथ 116 विकेट लिए थे। उन्होंने नौ बार एक पारी में पांच विकेट और एक बार 10 विकेट लेने का कारनामा किया था। उनके पुत्र शॉन पोलक आगे चलकर दक्षिण अफ्रीका के सबसे सफल गेंदबाज बने। ब्रॉड की तरह, उन्होंने सभी प्रारूपों में 800 से अधिक विकेटों के साथ अपना करियर समाप्त किया था।
वाल्टर और रिचर्ड हेडली
महान ऑलराउंडरों में से एक सर रिचर्ड हेडली के कारनामों को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। रिटायर होने के तीन दशक से अधिक समय बाद, हेडली टेस्ट क्रिकेट (431) में न्यूजीलैंड के सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी बने हुए हैं। वह टेस्ट में 400 विकेट का आंकड़ा छूने वाले पहले खिलाड़ी थे। हालांकि, बहुत कम लोग जानते हैं कि वह वाल्टर हेडली के बेटे हैं, जिन्होंने 1937 से 1951 के बीच न्यूजीलैंड के लिए 11 टेस्ट खेले थे।
इफ्तिखार और मंसूल अली खान पटौदी
नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी इंग्लैंड और भारत दोनों का प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र क्रिकेटर हैं। उन्होंने अपने डेब्यू टेस्ट (1932/33) में इंग्लैंड के लिए शतक जमाया था। उनके बेटे, मंसूर अली खान पटौदी, जिन्हें 'टाइगर पटौदी' के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने 46 में से 40 टेस्ट मैचों में भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया था। उनकी कप्तानी में ही भारत ने अपनी पहली विदेशी टेस्ट जीत (बनाम न्यूजीलैंड 1967) दर्ज की थी।
इफ्तिखार का 41 साल की उम्र में निधन हो गया
इफ्तिखार ने स्वास्थ्य कारणों के चलते क्रिकेट से समय से पहले ही संन्यास ले लिया था। लगभग छह साल बाद 5 जनवरी, 1952 को एक पोलो मैच खेलते समय 41 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई थी। खास बात यह है कि पिता की मौत के दिन बेटे मंसूर का जन्मदिन भी था। बेटे ने पिता और क्रिकेट के प्रति समर्पण को आत्मसात करते हुए नौ साल बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा था।