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#ThankYouDhoni: ऐसा रहा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले धोनी का दौर

#ThankYouDhoni: ऐसा रहा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले धोनी का दौर

लेखन Neeraj Pandey
संपादन Manoj Panchal
Aug 15, 2020
09:57 pm

क्या है खबर?

महेन्द्र सिंह धोनी भारत के उन महान क्रिकेटर्स में से एक हैं जिन्होंने अपने टच से खेल में क्रांति लाने का काम किया है। खेल के प्रति उनके नजरिए ने उन्हें एकदम अलग साबित किया है। पूर्व भारतीय कप्तान धोनी ने अचानक शनिवार की शाम को इंस्टाग्राम वीडियो पोस्ट करके अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। ऐसे में एक नजर डालते हैं 2004 से 2020 तक चले धोनी के इस सफर पर।

शुरुआती दौर

धोनी को टीम में लाए थे गांगुली

स्थाई विकेटकीपर नहीं होने के कारण राहुल द्रविड़ को मजबूरी में कई दफा विकेटकीपिंग करनी पड़ती थी। भले ही टीम मैनेजमेंट ने कई विकेटकीपर्स को आजमाया, लेकिन उनमें से कोई भी सफल साबित नहीं हो सका। 2004 बांग्लादेश दौरे के लिए कप्तान सौरव गांगुली ने लंबे बालों वाले रांची के महेन्द्र सिंह धोनी को टीम में शामिल किया। हालांकि, इंटरनेशनल डेब्यू पर वह खाता खोले बिना ही रनआउट हो गए थे।

सपोर्ट

लगातार धोनी को बैक कर रहे थे दादा

दादा को धोनी में कुछ स्पेशल दिखा था और यही कारण था कि वह लगातार उन्हें बैक कर रहे थे और फिर पाकिस्तान के खिलाफ धोनी ने दादा को सही साबित किया। धोनी को नंबर तीन पर प्रमोट करने का गांगुली का फैसला सही साबित हुआ और उन्होंने विशाखापट्टनम में 148 रनों की धमाकेदार पारी खेली। कुछ महीनों बाद ही उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 183 रन बनाकर अपना जलवा बिखेरा था।

मार्की विकेटकीपर

मार्की विकेटकीपर के रूप में स्थापित हो गए धोनी

अगले दो सालों में धोनी सभी फॉर्मेट में टीम के स्थाई विकेटकीपर के रूप में खेलने लगे। पाकिस्तान, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ निरंतरता के साथ प्रदर्शन करके उन्होंने अपनी जगह पक्की कर ली। उस दौर में उन्होंने युवराज सिंह के साथ कई अच्छी साझेदारियां करके खूब सुर्खियां बटोरी, लेकिन 2007 विश्व कप में खराब प्रदर्शन के बाद उनकी जगह पर सवाल उठने लगे थे।

2007 टी-20 विश्व कप

धोनी की कप्तानी की शुरुआत

टी-20 विश्व कप के पहले संस्करण में धोनी को कप्तानी करने का मौका मिला और इसके साथ ही उन्होंने अपने आलोचकों को शांत करा दिया। ऐतिहासिक बॉल आउट में नॉन-रेगुलर गेंदबाजों से गेंदबाजी कराने से लेकर फाइनल का आखिरी ओवर जोंगिदर शर्मा से कराने तक धोनी ने टूर्नामेंट में कई अटपटे निर्णय लिए। ऐसे ही निर्णयों के साथ धोनी ने भारत को टी-20 विश्व कप जिताया और उनके दौर की शुरुआत हुई।

कप्तानी में सफलता

धोनी की कप्तानी में भारत ने हासिल की सफलता

अनिल कुंबले के संन्यास लेने ते बाद धोनी को तीनों फॉर्मेट में भारत का कप्तान बना दिया गया। 2007-08 में कप्तान धोनी ने सफलता हासिल करते हुए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज़ जिताई। अगले कुछ सालों में भारतीय टीम ने ICC टेस्ट रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया और कई अच्छे मल्टीनेशनल टूर्नामेंट्स जीते। इस दौर में उनकी खुद की बल्लेबाजी भी काफी अच्छी रही और वह मैच फिनिशर बनने लगे।

बड़े खिताब

धोनी की कप्तानी में भारत ने जीता विश्व कप और चैंपियन्स ट्रॉफी

2011 में धोनी की कप्तानी में भारत ने 28 साल के इंतजार के बाद अपना दूसरा विश्व कप खिताब जीता। लगातार विदेशों में टेस्ट गंवाने और आलोचना झेलने के बावजूद धोनी की टीम ने 2013 चैंपियन्स ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया था। एक साल बाद धोनी ने धीरे से टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया और फिर 2017 में कोहली को तीनों फॉर्मेट की कप्तानी सौंप दी।

करियर

इंटरनेशनल क्रिकेट में धोनी के बेहतरीन रिकॉर्ड्स

धोनी ICC के तीनों खिताब जीतने वाले विश्व के पहले और इकलौते कप्तान हैं। कप्तानी छोड़ने के तीन साल बाद भी वह भारत के सबसे सफल लिमिटेड ओवर्स कप्तान हैं। उन्होंने 110 वनडे और 41 टी-20 जीत हासिल की हैं। यदि उनकी बल्लेबाजी की बात करें तो वह भारत के लिए सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले टॉप-5 बल्लेबाजों में से एक हैं। उन्होंने 538 मैचों में 44.96 की औसत के साथ 17,266 रन बनाए हैं।

सम्मान

खेल के बाहर धोनी ने हासिल किए हैं ये सम्मान

2007-08 में धोनी को खेल रत्न से सम्मानित किया गया था और 2009 में उन्होंने देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री दिया गया था। 2011 में धोनी को इंडियन टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि मिली थी। 2018 में धोनी को देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। अगस्त 2019 में धोनी ने टेरिटोरियल आर्मी के साथ जम्मू-कश्मीर में दो सप्ताह काम किया था।