व्हाट्सऐप का बड़ा कदम, अब फेक न्यूज का पता लगा सकेंगे यूजर्स, जानें तरीका
प्लेटफॉर्म के जरिए फैलने वाली फेक न्यूज और उनसे समाज में बढ़ती नफरत को लेकर व्हाट्सऐप विवादों के केंद्र में रहा है। इस बड़ी हो चुकी समस्या के निदान के लिए अब कंपनी ने अपनी 'चेकपॉइंट टिपलाइन' सुविधा शुरु की है। इस सुविधा की मदद से लोग व्हाट्सऐप पर उन्हें प्राप्त हुई किसी भी जानकारी की सत्यता की जांच कर सकते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले फेक न्यूज के खिलाफ इसे कंपनी की बड़ी मुहिम माना जा रहा है।
व्हाट्सऐप के नंबर पर करना होगा विवादित जानकारी को फॉरवर्ड
व्हाट्सऐप ने मंगलवार को इस सुविधा को लॉन्च किया। सुविधा को भारतीय स्टार्टअप प्रोटो के सहयोग में शुरु किया गया है। कोई भी जानकारी सच है या झूठ, यह पताने के लिए व्हाट्सऐप यूजर्स को उनको प्राप्त हुई जानकारी या अफवाह को +91-9643-000-888 नंबर पर चेकपॉइंट टिपलाइन के पास व्हाट्सऐप मैसेज के जरिए भेज सकते हैं। इसके बाद प्रोटो का सत्यापन केंद्र इसकी जांच करके यूजर को बताएगा कि वह जानकारी सही है या नहीं।
अंग्रेजी से अलग 4 क्षेत्रीय भाषाओं में काम करेगी सुविधा
व्हाट्सऐप ने अपने बयान में कहा, "हम बताएंगे कि जानकारी सही, गलत, भ्रामक, विवादित या हकीकत से परे है। इससे संबंधित उपलब्ध जानकारियों को भी यूजर्स के साथ शेयर किया जाएगा।" प्रोटो केंद्र तस्वीर, वीडियो या लिखित हर तरीके की जानकारी की जांच करने में सक्षम होगा और अंग्रेजी के साथ-साथ 4 क्षेत्रीय भाषाओं हिंदी, तेलुगू, बंगाली और मलयालम में काम करेगा। संगठन जमीनी संगठनों के साथ मिलकर अलग-अलग इलाकों में फैल रही भ्रामक जानकारी के खिलाफ काम भी करेगा।
फेक न्यूज के कारण भारत में हुई है कई मॉब लिंचिंग की घटनाएं
बता दें कि भारत में सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और उसके मालिकाना हक वाले व्हाट्सऐप को फेक न्यूज के फैलाने के लिए इस्तेमाल किए जाने के कारण भारत सरकार के गुस्से का सामना करना पड़ा था। प्लेटफॉर्म पर फैली कई फेक न्यूज के कारण भारत में मॉब लिंचिंग की घटनाएं भी हुई हैं। सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को चुनाव को प्रभावित कर सकने वाले किसी भी कदम के बारे में भी चेताया था।
व्हाट्सऐप ने फेक न्यूज के खिलाफ उठाए ये कदम
इन्हें रोकने के लिए व्हाट्सऐप ने पिछले साल मैसेज फॉरवर्ड कर सकने की सीमा 5 कर दी थी। इसके अलावा कंपनी ने अखबार, टीवी और रेडियो पर विज्ञापन चलाए थे, जिनमें यूजर्स को भ्रामक जानकारी का पता लगाने के बारे में जानकारी दी गई थी।