
क्या होते हैं ब्लैक, वॉर्म और व्हाइट होल, ये कैसे हैं एक दूसरे से अलग?
क्या है खबर?
हमारा ब्रह्मांड कई रहस्यमय और अद्भुत शक्तियों से भरा हुआ है, जिनमें ब्लैक होल, वॉर्म होल और व्हाइट होल जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां सालों से इनके रहस्य समझने में जुटी हैं। ये तीनों ही खगोलीय अवधारणाएं बेहद दिलचस्प हैं, लेकिन इनका व्यवहार और प्रभाव अलग-अलग होता है।
ये ब्रह्मांड के नियमों को चुनौती देते हैं और वैज्ञानिकों को नई खोजों के लिए प्रेरित करते हैं। आइए जानते हैं कि ये आखिर क्या होते हैं।
#1
ब्लैक होल
ब्लैक होल एक ऐसा खगोलीय क्षेत्र है, जहां गुरुत्वाकर्षण शक्ति बहुत अधिक होती है और वहां कोई भी चीज, यहां तक कि प्रकाश भी उससे बाहर नहीं निकल सकता है।
यह आमतौर पर एक बड़े तारे के जीवन के अंत में फटने के बाद बनता है। इसका केंद्र सिंगुलैरिटी कहलाता है, जहां सारा द्रव्यमान सिमटा होता है।
ब्लैक होल दिखाई नहीं देता, लेकिन इसके आसपास की चीजों पर असर डालने से वैज्ञानिक इसे पहचान पाते हैं।
#2
वॉर्म होल
ब्लैक होल के जहां प्रमाण मिले हैं, वहीं वॉर्म होल एक काल्पनिक अवधारणा है। इसे ब्रह्मांड के 2 अलग-अलग स्थानों को जोड़ने वाली सुरंग माना जाता है।
वैज्ञानिक इसे 'आइंस्टीन-रोजेन ब्रिज' भी कहते हैं। सिद्धांत के अनुसार यह हमें ब्रह्मांड में दूर की जगहों तक बहुत जल्दी पहुंचा सकता है, लेकिन इसका कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है।
अब तक यह सिर्फ गणितीय मॉडल और विज्ञान कथाओं में ही मौजूद है, लेकिन वैज्ञानिक इसके अस्तित्व की संभावना तलाश रहे हैं।
#3
व्हाइट होल
व्हाइट होल को ब्लैक होल के बिल्कुल ही उलट होता है।
व्हाइट होल के अंदर कोई वस्तु नहीं जा सकती, लेकिन सब कुछ बाहर फेंका जाता है। यह भी अब तक केवल सिद्धांतों में मौजूद है, किसी वैज्ञानिक को इसका प्रमाण नहीं मिला है।
ब्लैक होल, वॉर्महोल और व्हाइट होल तीनों ही ब्रह्मांड के रहस्य हैं, लेकिन इनका व्यवहार एक-दूसरे से काफी अलग होता है।
इन पर रिसर्च आज भी जारी है।