सुरक्षित रखना चाहते हैं अपना एंड्रॉयड फोन? फौरन करें ये बदलाव
एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स के दुनियाभर में करोड़ों यूजर्स हैं और कम कीमत में बेहतर फीचर्स के चलते ये लोकप्रिय हुए हैं। हालांकि, एंड्रॉयड डिवाइसेज की सुरक्षा पर आए दिन सवाल उठते हैं इसलिए कुछ सुरक्षा फीचर्स का इस्तेमाल करना जरूरी है। फोन्स में कई फीचर्स ऑटो-इनेबल्ड होते हैं, जिनके साथ सुरक्षा के साथ-साथ बेहतर परफॉर्मेंस भी मिलती है। कुछ बदलाव कर आप स्मार्टफोन डाटा की प्राइवेसी और सुरक्षा बेहतर कर सकते हैं।
लॉकस्क्रीन से छुपा दें नोटिफिकेशंस
स्मार्टफोन की लॉकस्क्रीन पर नोटिफिकेशंस देखने का विकल्प मिलता है, लेकिन यह फीचर प्राइवेसी के लिए खतरा हो सकता है। इस फीचर के साथ नोटिफिकेशंस देखने में आसानी होती है, लेकिन फोन के पास मौजूद दूसरे लोग भी बिना डिवाइस अनलॉक किए नोटिफिकेशन पढ़ सकते हैं। यह फीचर ऑफ कर आप सेंसिटिव जानकारी दूसरों को दिखने से बचा सकते हैं। आप कभी नहीं चाहेंगे कि पर्सनल मेसेज या वन टाइम पासवर्ड्स (OTPs) बिना फोन अनलॉक किए दूसरों को दिखें।
होमस्क्रीन से डिलीट करें गैर-जरूरी शॉर्टकट्स
एंड्रॉयड डिवाइसेज में गूगल प्ले स्टोर से नई ऐप डाउनलोड करने पर कुछ डिवाइसेज अपने आप होमस्क्रीन शॉर्टकट्स बना देते हैं। इनके साथ डिवाइस की परफॉर्मेंस स्लो हो जाती है और दूसरों को आपके फोन में इंस्टॉल ऐप्स भी एकसाथ दिखती हैं। सेटिंग्स में जाकर अपने आप शॉर्टकट क्रिएट होने को रोका जा सकता है। वहीं, पहले से मेन स्क्रीन पर मौजूद शॉर्टकट्स आप जरूरत ना होने पर डिलीट भी कर सकते हैं।
बैकग्राउंड ऐप्स को डाटा इस्तेमाल करने से रोकें
एंड्रॉयड डिवाइसेज में कई ऐप्स बैकग्राउंड में रन करती हैं, जिससे उन्हें इस्तेमाल करने के लिए आसानी से ओपेन किया जा सके। ऐसी कुछ ऐप्स बिना यूजर को पता चले, बैकग्राउंड में डाटा भी इस्तेमाल करती हैं। अच्छी बात यह है कि आप इससे जुड़ी सेटिंग्स में बदलाव कर सकते हैं। ऐप सेटिंग्स में जाकर आप बैकग्राउंड डाटा यूजेस की लिमिट तय कर सकते हैं और अलग-अलग ऐप्स के लिए ऐसा किया जा सकता है।
ऑफ कर सकते हैं फोन में दिखने वाले ऐड
गूगल आपके डाटा का इस्तेमाल डिवाइसेज में अलग-अलग जगह विज्ञापन दिखाने के लिए करती है। इस तरह यूजर्स को उनकी पसंद के हिसाब से विज्ञापन दिखते हैं। शाओमी जैसी कुछ कंपनियां फोन में कई जगह विज्ञापन दिखाती हैं। सेटिंग्स में जाकर इन रिकमेंडेशंस को ऑफ किया जा सकता है और ऐड पर्सनलाइजेशन से ऑप्ट-आउट करने का विक्ल्प भी मिलता है। ऐसा करने के बाद कई जगह ऐड दिखना बंद हो जाते हैं और दूसरे पर्सनलाइज्ड ऐड्स भी नहीं दिखते।
ऐप परमिशंस मैनेज करना सबसे जरूरी
एंड्रॉयड ऐप्स पहली बार ओपेन करने के बाद स्टोरेज, कैमरा या कॉन्टैक्ट्स ऐक्सेस करने से जुड़ी परमिशंस लेती हैं। इन परमिशंस में कभी भी बदलाव किए जा सकते हैं और ऐप्स को वही परमिशंस देनी चाहिए, जिनकी उन्हें जरूरत है। एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म खुद लंबे वक्त तक इस्तेमाल ना होने वाली ऐप्स की परमिशंस हटा देता है। ऐप सेटिंग्स में जाकर उससे जुड़ी परमिशंस बदल देनी चाहिए, जिससे ये ऐप्स बैकग्राउंड में फोन की परफॉर्मेंस और सुरक्षा पर असर ना डालें।