क्रू-7 अंतरिक्ष यात्री कैसे लगाएंगे मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभाव का पता?
क्या है खबर?
नासा के क्रू-7 मिशन के अंतरिक्ष यात्री हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचे हैं। ये वहां 6 महीने तक रहेंगे और विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें अंतरिक्ष उड़ान में मानव स्वास्थ्य का विषय भी शामिल है।
इस प्रयोग के जरिए समय के साथ मानव शरीर पर अंतरिक्ष उड़ान के प्रभावों का पता लगाया जाएगा।
इससे मिली जानकारी चांद और उससे आगे के भविष्य के क्रू मिशनों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
उद्देश्य
शोधकर्ता इकट्ठा करेंगे डाटा
मानव स्वास्थ्य से जुड़े इस प्रयोग को कॉम्प्लिमेंट ऑफ इंटीग्रेटेड प्रोटोकॉल्स फॉर ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रिसर्च (CIPHER) नाम दिया गया। यह 14 अलग-अलग प्रयोगों का एक सेट है, जिसका उद्देश्य यह जांचना है कि अवधि के आधार पर अंतरिक्ष उड़ान मानव शरीर में कैसे परिवर्तन करती है।
CIPHER के तहत शोधकर्ता लॉन्च से पहले, स्टेशन पर रहने के दौरान और पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों से डाटा इकट्ठा करेंगे।
प्रभाव
इकट्ठा किए गए डाटा से पता लगाई जाएगी ये जानकारी
अंतरिक्ष यात्रियों से इकट्ठा किए गए डाटा से यह पता लगाया जाएगा कि समय के साथ शरीर कैसे बदलता है।
द वर्ज के मुताबिक, नासा के ह्यूमन रिसर्च प्रोग्राम के डिप्टी चीफ वैज्ञानिक क्रिस्टिन फैबरे ने बताया कि इस प्रयोग का एक बड़ा हिस्सा शरीर पर अवधि के प्रभाव को समझना है।
दरअसल, मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभावों को समझने के बाद मिशनों को और बेहतर बनाया जा सकेगा और इससे अंतरिक्ष यात्रियों की मुश्किलें कम होंगी।
अंतरिक्ष
इसलिए जरूरी है प्रयोग
ISS पर अंतरिक्ष यात्रियों के रुकने की एक मानक अवधि या रोटेशन 6 महीने के लिए होता है। हालांकि, कुछ अंतरिक्ष यात्रियों को एक साल तक का समय लगता है।
चांद और मंगल ग्रह के मिशन के लिए मानव शरीर पर अंतरिक्ष उड़ान के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है।
रिसर्च टीम अधिक से अधिक डाटा इकट्ठा करते हुए अगले कुछ सालों तक CIPHER प्रयोग को जारी रखने का प्रयास करेगी।
अवधि
शरीर के इन हिस्सों पर पड़ता है अंतरिक्ष का प्रभाव
प्रयोगों के लिए हड्डियों की मजबूती, आंखों के स्वास्थ्य, हृदय संबंधी कार्यप्रणाली और मांसपेशियों से जुड़ा डाटा लेना शामिल है। इन सभी हिस्सों पर अंतरिक्ष की अवधि का प्रभाव पड़ता है।
दरअसल, अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल कम है और अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर पर इसका प्रभाव पड़ता है।
इसी तरह चांद का गुरुत्वाकर्षण बहुत कम है और यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का लगभग छठा हिस्सा है। ऐसे ही मंगल पर भी पृथ्वी का लगभग एक तिहाई गुरुत्वाकर्षण है।
प्रभाव
अंतरिक्ष में मांसपेशियों की क्षति होना है बड़ी समस्या
कम गुरुत्वाकर्षण के कारण शरीर के ऊपरी आधे हिस्से में तरल पदार्थ जमा होने जैसे प्रभाव पड़ते हैं। अंतरिक्ष में मांसपेशियों की क्षति एक बड़ी समस्या है। इसके लिए ISS के पास वर्तमान में एडवांस्ड रेसिस्टिव एक्सरसाइज डिवाइस (ARED) नामक एक एक्सरसाइज सिस्टम है।
बता दें कि CIPHER प्रयोगों में क्रू-7 के चालक दल भी प्रतिभागियों के रूप में शामिल होंगे। यह प्रयोग पृथ्वी से परे और अन्य ग्रहों की यात्रा में मनुष्यों को सुरक्षित रखने में मदद करेगा।
पहला
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
क्रू-7 मिशन के तहत 4 अलग-अलग देशों के यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा गया है। अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने बताया है कि यह अमेरिका का ऐसा पहला लॉन्च है, जिसमें कैप्सूल के हर सीट पर अलग-अलग देश के अंतरिक्ष यात्री बैठे थे।
स्पेस-X के क्रू ड्रैगन कैप्सूल से नासा के जैस्मीन मोघबेली, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन (JAXA) एजेंसी के सातोशी फुराकावा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के एंड्रियास मोगेन्सन, और रूसी अंतरिक्ष यात्री कोंस्टेंटिन बोरिसोव अंतरिक्ष में गए हैं।