ISRO कल स्पेडेक्स मिशन के तहत पूरा करेगा सैटेलाइट्स की डॉकिंग प्रक्रिया
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पिछले हफ्ते अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पेडेक्स) मिशन को लॉन्च किया था।
इस मिशन के तहत चेजर और टारगेट नामक 2 सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में भेजा गया है।
अब ISRO कल (7 जनवरी) चेजर और टारगेट सैटेलाइट्स की डॉकिंग प्रक्रिया पूरा करने का प्रयास करेगा। यह एक खास प्रयोग होगा, क्योंकि इसमें दोनों सैटेलाइट्स को एक दूसरे से जोड़ने की कोशिश की जाएगी।
काम
कैसे काम करते हैं ये सैटेलाइट्स?
चेजर और टारगेट सैटेलाइट्स को एक खास उद्देश्य के लिए डिजाइन किया गया है।
इन दोनों सैटेलाइट में स्टार ट्रैकर, मैग्नेटोमीटर और रिएक्शन व्हील जैसे सेंसर लगे हैं, जो उन्हें अपने स्थान और दिशा को सटीक रूप से निर्धारित करने में मदद करते हैं।
डॉकिंग के दौरान दोनों सैटेलाइट अपनी स्थिति को सही बनाए रखने के लिए इन उपकरणों का उपयोग करेंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि डॉकिंग सही ढंग से हो और सैटेलाइट एक दूसरे से जुड़ सकें।
सेंसर
सैटेलाइट्स के सेंसर और कैमरे
इस डॉकिंग प्रयास में सैटेलाइट्स में लगे कैमरे और सेंसर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। चेजर सैटेलाइट में लगे कैमरे डॉकिंग प्रक्रिया को रिकॉर्ड करेंगे, जिससे वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इसकी समीक्षा कर सकेंगे।
इसके साथ ही, रेंडेजवस और निकटता सेंसर का उपयोग करके यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सैटेलाइट सही दिशा में और सही स्थान पर हैं। यह सटीकता और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि डॉकिंग बिना किसी गलती के पूरी हो सके।
प्रसारण
डॉकिंग का प्रसारण करेगा ISRO
ISRO इस महत्वपूर्ण डॉकिंग प्रयास का सीधा प्रसारण करेगा, ताकि पूरी दुनिया इसे देख सके। यह डॉकिंग एक परीक्षण है, जो भविष्य में अंतरिक्ष यानों के बीच संपर्क स्थापित करने में सहायक होगा।
चेजर सैटेलाइट द्वारा कैप्चर किया गया एक सेल्फी वीडियो भी इस प्रक्रिया को और अधिक रोमांचक बनाएगा। इस प्रसारण से भी वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों को महत्वपूर्ण डाटा मिलेगा, जो इस क्षेत्र में आगे के शोध के लिए काफी उपयोगी होगा।
भविष्य में काफी उपयोगी होगा यह प्रयास
भविष्य में काफी उपयोगी होगा यह प्रयास
7 जनवरी को ISRO का डॉकिंग प्रयोग अंतरिक्ष में एक नया मील का पत्थर होगा।
चेजर और टारगेट सैटेलाइट्स को डॉकिंग के लिए तैयार किया गया है और दोनों सैटेलाइट का संयोजन सफल होने पर यह मिशन अंतरिक्ष यात्रा की नई दिशा खोल सकता है।
इस प्रक्रिया के बाद सैटेलाइट एक यूनिट की तरह काम करेंगे, जो भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन और अन्य यानों के बीच संपर्क स्थापित करने में मदद करेगा।