स्पेस-X के विश्व के सबसे बड़े रॉकेट स्टारशिप की लॉन्चिंग टली
स्पेस-X के स्टारशिप की लॉन्चिंग टाल दी गई है। इसकी लॉन्चिंग भारतीय समयानुसार 17 अप्रैल को शाम को लगभग 6 बजकर 50 मिनट में होनी थी। यदि यह लॉन्च सफल होता तो आज विश्व का सबसे बड़ा रॉकेट लॉन्च होता। लॉन्चिंग से 10 मिनट पहले स्टेज में फ्यूल प्रेशराइजेशन की दिक्कत आने से इसकी लॉन्चिंग टाली गई है। अब अगली लॉन्चिंग कम से कम 48 घंटे बाद ही हो पाएगी।
दो हिस्सों में बंटा है स्टारशिप
स्टारशिप दो हिस्सों में बंटा है। इसके ऊपर वाले हिस्से को स्टारशिप कहते हैं और यही हिस्सा यात्रियों को मंगल ग्रह तक ले जाएगा। इसके जरिए एक बार में कम से कम 100 लोगों को मंगल तक पहुंचाने की योजना है। इसका दूसरा हिस्सा सुपर हैवी है और यह रीयूजेबल है। इसका काम स्टारशिप को एक निश्चित ऊंचाई तक ले जाना है और फिर ये उससे अलग होकर पृथ्वी पर वापस आ जाता है।
रॉकेट 33 और स्टारशिप 6 इंजन से लैस
स्टारशिप के दोनों ही हिस्सों में फ्यूल टैंक बने हैं। रॉकेट में 33 रैप्टर इंजन दिए गए हैं और स्टारशिप में 6 इंजन हैं। ये स्टारशिप इंसानों को दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से भी कम समय में पहुंचाने में सक्षम है। स्टारशिप को वर्तमान में बेहतरीन माने जाने वाले स्पेस-X के फाल्कन रॉकेट की तुलना में पेलोड को दूर तक ले जाने और कम लागत में लॉन्च करने के लिए डिजाइन किया गया है।
मंगल पर कॉलोनी बसाना चाहते हैं एलन मस्क
अंतरिक्ष कंपनी स्पेस-X के मालिक एलन मस्क ने स्टारशिप की लॉन्चिंग होने से पहले ही ट्वीट किया था कि 'सक्सेस मे बी, एक्साइटमेंट गारंटीड' यानी सफलता शायद ही मिले, लेकिन उत्सुकता की गारंटी है। मस्क साल 2029 तक इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाकर वहां कॉलोनी बसाना चाहते हैं। नासा ने स्टारशिप को मून लैंडर के रूप में चुना है और 2025 में अंतरिक्ष यात्री आर्टिमिस 3 मिशन पर इसका उपयोग करेंगे।
ऐसे काम करता पूरा सिस्टम
सुपर हैवी बूस्टर यानी सबसे विशाल रॉकेट के साथ स्टारशिप को लॉन्च किया जाना था। बूस्टर अपना काम समाप्त होने के बाद अलग होकर पृथ्वी पर लौट आता। इसके बाद पृथ्वी से एक रिफ्यूलिंग टैंकर लॉन्च होता और ये टैंक ऑर्बिट में स्टारशिप से डॉक होकर ये टैंकर स्टारशिप में फ्यूल भरता और फिर पृथ्वी पर लौट आता। स्टारशिप ऑर्बिट से मंगल की तरफ बढ़ता और वहां लैंड करता।