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    अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को मिला दुर्लभ तारा, आकाशगंगा के सबसे पुराने तारों में से है एक
    अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को मिला दुर्लभ तारा (प्रतीकात्मक तस्वीर: नासा)

    अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को मिला दुर्लभ तारा, आकाशगंगा के सबसे पुराने तारों में से है एक

    लेखन बिश्वजीत कुमार
    Jun 17, 2024
    01:05 pm

    क्या है खबर?

    अंतरिक्ष के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक दुर्लभ प्रकार के छोटे तारे को आकाशगंगा में देखा है।

    साइंसअलर्ट की रविवार (16 जून) की एक रिपोर्ट के अनुसार, CWISE J124909+362116.0 नाम का तारा लगभग 600 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से गैलेक्टिक एस्केप वेलोसिटी से आगे निकल रहा है।

    यह दुर्लभ प्रकार का छोटा प्राचीन तारा मिल्की वे आकाशगंगा में सबसे पुराने तारों में से एक है।

    वजह

    क्यों कहा जा रहा दुर्लभ?

    रिपोर्ट में कहा गया है कि CWISE J124909+362116.0 (J1249+36) आकाशगंगा में पहचाने गए मुट्ठी भर हाइपरवेलोसिटी तारों में से एक है। यही वजह है कि इस खोज को दुर्लभ माना जा रहा है।

    हालांकि, कुछ वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि J1249+36 आकाशगंगा से नहीं है, बल्कि इसकी परिक्रमा करने वाली कई उपग्रह बौनी आकाशगंगाओं में से एक है। इस तारे की खोज की घोषणा अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी की 244वीं बैठक में की गई।

    ग्रह

    इसी साल खोजा गया था पृथ्वी के समान ग्रह

    इस साल जनवरी में नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने सौरमंडल के बाहर एक ऐसे ग्रह की खोज की थी, जो पृथ्वी के समान आकार का है। LHS 475 B नामक यह ग्रह पृथ्वी से 41 प्रकाश वर्ष दूर है।

    यह ग्रह अपने तारे की एक परिक्रमा मात्र 2 दिनों में पूरी करता है। नासा ने कहा है कि LHS 475 B ग्रह सौरमंडल के किसी भी अन्य ग्रह की तुलना में अपने तारे के ज्यादा करीब है।

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