धरती के पानी में तेजी से कम हो रही ऑक्सीजन, खतरे में जलीय जीवों का जीवन
दुनिया के महासागर, नदियों, झील और तालाब में घुलनशील ऑक्सीजन तेजी से कम हो रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पृथ्वी के जीवन रक्षा तंत्र पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है। जिस तरह थलीय जीवों को सांस लेने के लिए हवा में मौजूद ऑक्सीजन जरूरी है, उसी तरह जलीय जीवों (मीठे पानी या खारे पानी के) को पानी में मौजूद ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। यह शोध 'नेचर इकोलॉजी एंड एवॉल्यूशन' जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से ऑक्सीजन नहीं संभाल पा रहा पानी
शोधकर्ताओं के अनुसार, पानी में ऑक्सीजन की कमी से न सिर्फ समुद्री जीव प्रभावित होंगे, बल्कि पर्यावरण का संतुलन भी गड़बड़ाएगा। जलवायु परिवर्तन और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ने से हवा और पानी का तापमान औसत से ज्यादा बढ़ रहा है, जिससे सतही पानी ऑक्सीजन को संभाल नहीं पा रहा। इसके अलावा जितनी ऑक्सीजन जीव जंतुओं के इस्तेमाल से खर्च होती है, उतनी पेड़ पौधे वापस नहीं बना पा रहे। इससे जलीय जीवों के जीवन पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
जलीय डीऑक्सीजनेशन को ग्रहीय सूची में जोड़ने की मांग
शोध में कहा कि अरबों लोग भोजन और आय के लिए समुद्र और मीठे पानी के स्रोतों पर निर्भर हैं। ऐसे में अगर जलीय जीवों का जीवन संकट में पड़ता है तो पूरा ईको-सिस्टम बिगड़ जाएगा। वैज्ञानिकों की एक टीम का प्रस्ताव है कि जलीय डीऑक्सीजनेशन को ग्रहीय सीमाओं की सूची में जोड़ा जाए। यह वह सीमा है, जिसके भीतर मानवता आने वाली पीढ़ियों के लिए विकसित हो सकती है और इसे पार करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।