मोबाइल नेटवर्क जैमर्स और बूस्टर्स का इस्तेमाल है अवैध, सरकार ने दी चेतावनी
कई प्राइवेट संस्थान सेल्युलर सिग्नल जैमर्स, सिग्नल बूस्टर्स और GPS ब्लॉकर्स इस्तेमाल करते हैं और इन्हें इंटरनेट पर आसानी से खरीदा जा सकता है। हालांकि, सरकार ने साफ किया है कि ऐसी किसी भी तरह की सिग्नल जैमिंग डिवाइसेज का इस्तेमाल करना अवैध है। बिना सरकार की अनुमति लिए ऐसे डिवाइसेज का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। सरकार ने इन वायरलेस मोबाइल जैमर्स की ऑनलाइन बिक्री करने वाले ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को भी चेतावनी दी है।
डिवाइसेज की ऑनलाइन बिक्री पर लगेगी रोक
मोबाइल सिग्नल रोकने वाले डिवाइसेज की खुलेआम हो रही ऑनलाइन बिक्री को लेकर सरकार ने साफ निर्देश दिए हैं। सरकार ने साफ किया है कि ऐसे वायरलेस जैमर्स की बिक्री ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म्स पर नहीं कर सकतीं। इस बात पर जोर दिया गया है कि जैमर्स की बिक्री ही नहीं इस्तेमाल से जुड़े कुछ नियम भी हैं और प्राइवेट सेक्टर ऑर्गनाइजेशंस या इंडिविजुअल्स इनका इस्तेमाल नहीं कर सकते।
दूरसंचार विभाग ने एडवाइजरी में क्या कहा?
दूरसंचार विभाग (DoT) ने आम नागरिकों को ऐसे डिवाइसेज का इस्तेमाल ना करने को कहा है। विभाग ने कहा, "यह साफ किया गया है कि भारत में किसी भी तरह के मार्केटिंग डिवाइस का प्रचार, बिक्री, डिस्ट्रिब्यूशन, आयात या मार्केटिंग अवैध है। ऐसा केवल सरकारी गाइडलाइन्स के हिसाब से और परमिशन मिलने पर ही किया जा सकता है।" एडवाइजरी की मानें तो लाइसेंस्ड टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के अलावा इनका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
पब्लिक हेल्थ और सुरक्षा के लिए खतरा
विभाग ने अपनी एडवाइजरी में बताया है कि मोबाइल सिग्नल ब्लॉकर्स पर भारत में प्रतिबंध क्यों लगाया गया है। इसमें कहा गया है, "यह मामला सिर्फ मोबाइल फोन यूजर्स को होने वाली परेशानी से जुड़ा नहीं है। इस तरह की एक्सेसरीज मोबाइल फोन्स से सभी तरह की इमरजेंसी कॉल सेवाओं का ऐक्सेस भी खत्म कर देती हैं। इसका मतलब है कि सिग्नल ब्लॉकर्स और जैमर्स पब्लिक हेल्थ और सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा हैं।"
ज्यादातर नागरिकों को नहीं है नियमों की जानकारी
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के डायरेक्टर जनरल डॉ. एस.पी. कोचर ने कहा है कि ज्यादातर नागरिकों को इस बात की जानकारी नहीं है कि मोबाइल सिग्नल बूस्टर्स (MSBs) की खरीद, बिक्री, इंस्टॉलेशन और इस्तेमाल अवैध हैं और ऐसा करना दंडनीय अपराध है। जैमर्स और बूस्टर्स का अवैध इस्तेमाल करने की स्थिति में वायरलेस टेलीग्राफी ऐक्ट, 1933 और इंडिया टेलीग्राफी ऐक्ट, 1885 के तहत कार्रवाई की जा सकती है और सजा मिल सकती है।
नागरिकों को बेरोक सेवा देने की कोशिश
कोचर ने अपने बयान में कहा, "जैमर्स और बूस्टर्स का अवैध इस्तेमाल टेलिकॉम सेवाओं को प्रभावित करता है और हमें खुशी है कि सरकार ने इसपर जरूरी कदम उठाते हुए देश में नागरिकों को बेरोक नेटवर्क और टेलिकॉम अनुभव देने की कोशिश की है।" उम्मीद की जा रही है कि एडवाइजरी की मदद से नागरिकों को मौजूदा नियमों और प्रतिबंधों के बारे में जागरूक किया जाएगा और डिवाइसेज का अवैध इस्तेमाल रोका जा सकेगा।