तकनीकी खामी को दूर किया गया, सोमवार तक चंद्रयान-2 को लॉन्च कर सकता है ISRO
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रयान-2 को 21-22 जुलाई के बीच लॉन्च कर सकता है। ISRO ने इसकी लॉन्चिंग के लिए 15 जुलाई को निर्धारित किया था, लेकिन तकनीकी खामी के कारण यह लॉन्चिंग नहीं हो सकी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ISRO चंद्रयान-2 रविवार दोपहर या सोमवार की सुबह तक लॉन्च कर सकता है। हालांकि, इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
दूर की गई रॉकेट में आई खामी
15 जुलाई को तय चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग से एक घंटे पहले रॉकेट के ईंजन में आई खामी के चलते इसे रोक दिया गया था। इस खामी का जिक्र किए बिना ISRO ने कहा कि लॉन्चिंग की नई तारीख का ऐलान बाद में किया जाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, रॉकेट के ऊपरी हिस्से में लगे क्रायोजेनिक इंजन में कुछ खामी आई थी, जिसमें कुछ समय पहले ही लिक्विड हाइड्रोजन भरी गई थी। अब इंजीनियरों ने इस खामी को दूर कर लिया है।
सोमवार तक लॉन्च हो सकता है चंद्रयान-2
सूत्रों के मुताबिक, चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के लिए फिर से रविवार और सोमवार के बीच की रात में समय चुना गया था, लेकिन अब इसे रविवार दोपहर के बाद भी लॉन्च किया जा सकता है। ISRO इस संबंध में जल्द ही घोषणा कर सकता है। जानकारों के मुताबिक, अगर 31 जुलाई तक यह मिशन लॉन्च नहीं होता है तो इस पर असर पड़ सकता है क्योंकि चंद्रयान-2 को चंद्रमा पर जाने के लिए ज्यादा ईंधन की जरूरत होगी।
GSLV-III से लॉन्च होगा चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 को GSLV-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। अभी तक यह रॉकेट दो सफलतापूर्वक लॉन्चिंग को अंजाम दे चुका है। इस रॉकेट की मदद से जून 2017 में कम्यूनिकेशन सैटेलाइट GSAT-19 लॉन्च किया गया था, जिसका वजन 3,000 किलोग्राम से ज्यादा था। इसके बाद इस रॉकेट की मदद से पिछले साल नवंबर में 3423 किलोग्राम वजनी एक और कम्यूनिकेशन सैटेलाइट GSAT-29 लॉन्च किया गया था। GSLV-MkIII को ISRO का अगली पीढ़ी का रॉकेट माना जाता है।
पूरी तरह भारत में बना है मॉड्यूल
इस मिशन पर तीन मॉड्यूल भेजे जाएंगे। इनमें एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर होगा। कुल 3.8 टन होगा वाले इस यान को पूरी तरह भारत में तैयार किया गया है। इसमें 13 पेलोड्स (ऑर्बिटर में आठ, लैंडर में तीन और रोवर में दो) होंगे।
ये होंगे ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के काम
ऑर्बिटर चांद की सतह से 100 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगाएगा, जबकि लैंडर चांद के दक्षिण ध्रुव के पास सतह पर उतरेगा और रोवर चांद की सतर पर प्रयोग करेगा। लॉन्चिंग के वक्त रोवर लैंडर के अंदर रहेगा और ऑर्बिटर और लैंडर को साथ रखा जाएगा। इस मॉड्यूल को ISRO के GSLV MK-III लॉन्च व्हीकल से लॉन्च किया जाएगा। धरती की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर प्रोपल्शन मॉड्यूल की मदद से यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा।