कोरोना संक्रमण के संकेतों को पकड़ने के लिए स्मार्टबैंड बना रहा IIT मद्रास से जुड़ा स्टार्टअप
क्या है खबर?
कोरोना वायरस (COVID-19) के खिलाफ लड़ाई के लिए दुनियाभर में कई डिवाइस तैयार किए जा रहे हैं।
IIT मद्रास से जुड़ा एक स्टार्टअप भी एक वीयरेबल रिस्ट ट्रैकर (हाथ में पहने जाने वाला एक तरह का स्मार्ट बैंड) पर काम कर रहा है जो कोरोना वायरस के संक्रमण का शुरुआती चरणों में पता लगा सकता है।
इसके लिए 'म्यूज वीयरेबल' नाम के इस स्टार्टअप को 22 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली है।
तरीका
सेंसर की मदद से शरीर पर नजर रखेगा ट्रैकर
'म्यूज वीयरेबल' NIT वारंगल के पूर्व छात्रों के साथ मिलकर इस ट्रैकर को 70 देशों में लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
इस ट्रैकर में त्वचा के तापमान, ह्रदय गति और शरीर में ऑक्सीजन के स्तर पर नजर रखने के लिए सेंसर लगे हुए हैं। ये संक्रमण की संकेतों को जल्दी पकड़ लेते हैं।
इसका फायदा यह होगा कि लक्षण दिखने से पहले अगर किसी को संक्रमण का पता लगता है तो वह आइसोलेट हो सकता है।
ट्रैकर
आरोग्य सेतु ऐप से भी जुड़ा होगा ट्रैकर
यह ट्रैकर ब्लूटूथ-इनेबल होगा और इसे 'म्यूज हेल्थ ऐप' के जरिये स्मार्टफोन से कनेक्ट किया जा सकेगा।
एक बार एक्टिव होने के बाद यह यूजर की सेहत से जुड़ा डाटा मोबाइल और रिमोट सर्वर में सर्वर करता रहेगा।
कंटेनमेंट जोन जैसे इलाकों में जरूरत पड़ने पर यह डाटा प्रशासन आदि के साथ भी शेयर किया जा सकता है।
इसे पहनकर अगर कोई कंटेमेंट जोन में जाता है तो इस पर आरोग्य सेतु ऐप की तरफ से नोटिफिकेशन भी आ जाएगी।
दाम
लगभग 3,500 रुपये हो सकती है कीमत
अगर किसी यूजर को किसी तरह की परेशानी हो रही हो तो वो इसकी मदद से इमरजेंसी अलर्ट भेज सकता है।
साथ ही अगर उसके शरीर का तापमान तय सीमा से ज्यादा हो जाएगा या उसके शरीर में ऑक्सीजन स्तर की मात्रा कम हो जाएगी तो यह ट्रैकर अलर्ट कर देगा।
लगभग 3,500 रुपये वाले इस ट्रैकर को अगले महीने एक साथ 70 देशों के बाजार में लॉन्च किया जा सकता है।
बयान
संक्रमण का जल्दी पता लगाने में मदद करेगा ट्रैकर
NIT वारंगल से पढ़े और इस प्रोजेक्ट से जुड़े के प्रत्युश ने ट्रैकर के बारे में बताते हुए कहा, "इस ट्रैकर के जरिये लोगों की कोरोना संक्रमण का शुुरुआती चरण में पता लगान में मदद करना हमारा मुख्य उद्देश्य है। उन्हें जितना जल्दी संक्रमण का पता चलेगा, उतना ही जल्दी उनका इलाज शुरू होगा।"
संक्रमण होते ही इलाज शुरू होने से मरीज की हालत खराब होने की संभावनाएं बेहद कम हो जाती हैं।
शोध
वीयरेबल डिवाइस पर दुनिया में चल रहे कई शोध
शोधकर्ताओं का कहना है कि स्मार्टवॉच और दूसरे वीयरेबल डिवाइसेस से लगातार मापी जाने ह्रदय गति, सांस लेने की रफ्तार और दूसरे पैमानों के आधार पर संक्रमण का जल्दी पता लग सकता है।
इस बारे में बताते हुए स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल स्नाइडर ने कहा, "जब आप बीमार होते हैं तो आपको पता चलने से पहले शरीर में बदलाव होने लगते हैं। आपकी ह्दय गति बढ़ जाती है।"
दुनिया में कई जगहों पर इसे लेकर शोध हो रहे हैं।