क्या वैक्सीन आने के बाद हमें कोरोना वायरस से पूरी तरह से निजात मिल जाएगी?
कोरोना वायरस से पूरी दुनिया में 1.5 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और 6.15 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। हर किसी की निगाह सिर्फ इसकी वैक्सीन पर टिकी हुई है और वो जल्द से जल्द इसके तैयार होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। इसी बीच बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या वैक्सीन आने के बाद कोरोना वायरस का खतरा पूरी तरह से खत्म हो जाएगा? आइए इससे जुड़ी बातों पर नजर डालते हैं।
पहले जानिए कैसे काम करती है वैक्सीन
वैक्सीन के जरिये हमारे इम्युन सिस्टम में कुछ मॉलिक्यूल्स भेजे जाते हैं। आमतौर पर ये मॉलिक्यूल्स कमजोर या निष्क्रिय वायरस या उसका अन्य कोई हिस्सा होता है। जब ये मॉलिक्यूल्स हमारे शरीर में दाखिल होते हैं तो हमारा इम्युन सिस्टम इन्हें असली वायरस समझ अपना काम शुरू कर देता है। आगे जब असली वायरस शरीर पर हमला करता है तो पहले से तैयार इम्युन सिस्टम उसकी पहचान कर लेता है और उसे मार देता है।
ऐसे काम करता है हमारा इम्युन सिस्टम
वायरस के खिलाफ लड़ाई में हमारे इम्युन सिस्टम के दो अंग, एंटीबॉडीज और टी-सेल्स, सबसे अहम होते हैं। एंटीबॉडीज एक प्रकार की प्रोटीन होती हैं जो वायरस की सतह से चिपक जाती हैं, जिसके कारण वायरस शरीर की कोशिकाओं से जुड़ नहीं पाता और नष्ट हो जाता है। वहीं टी-सेल्स संक्रमित हो चुकी कोशिकाओं को मारने का काम करती हैं, ताकि संक्रमण शरीर में न फैल सके। एंटीबॉडीज पहले डिफेंस और टी-सेल्स दूसरे डिफेंस के तौर पर काम करती हैं।
लंबे समय तक वायरस को याद रखती हैं टी-सेल्स
अगर किसी वैक्सीन को प्रभावकारी साबित होना है और लंबे समय तक वायरस के खिलाफ इम्युनिटी पैदा करनी है तो जरूरी है कि वह शरीर में एंटीबॉडीज और टी-सेल्स दोनों पैदा करे। लंबे समय की इम्युनिटी के लिए टी-सेल्स का निर्माण अहम है क्योंकि आमतौर पर एंटीबॉडीज कुछ समय बाद ही नष्ट हो जाती हैं, जबकि टी-सेल्स लंबे समय तक वायरस को याद रखती हैं। किसी वायरस के खिलाफ इम्युन सिस्टम की ट्रेनिंग के लिए टी-सेल्स बनना जरूरी है।
जितने अधिक समय तक रहेगी इम्युनिटी, महामारी से निजात उतनी आसान
कोरोना वायरस महामारी से किसी तरह से निजात मिलेगी या नहीं, ये बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि वैक्सीनें कितने लंबे समय तक वायरस से इम्युनिटी पैदा करती हैं और ये टी-सेल्स पैदा करती हैं या नहीं।
एंटीबॉडीज और टी-सेल्स दोनों पैदा करने में कामयाब रही हैं कोरोना वायरस की वैक्सीनें
अच्छी बात ये है कि रेस में आगे चल रही कोरोना वायरस की वैक्सीनों से शरीर में एंटीबॉडीज और टी-सेल्स दोनों पैदा हुई हैं। इसी सोमवार को प्रकाशित हुए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन के पहले चरण के ट्रायल के नतीजों में सामने आया था कि वैक्सीन से शरीर में एंटीबॉडीज और टी-सेल्स दोनों पैदा हुए। वहीं अमेरिका की मोडर्ना कंपनी और चीन की कैनसाइनो बायोलॉजिक्स कंपनी की वैक्सीनें भी शरीर में एंटीबॉडीज और टी-सेल्स पैदा करने में कामयाब रही हैं।
उत्साहजनक हैं नतीजे, लेकिन....
अभी तक के नतीजों के आधार पर कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस की वैक्सीनें लंबे समय तक इम्युनिटी प्रदान करने में कामयाब हो सकती हैं। हालांकि, इस बारे में कुछ ठोस कहना अभी जल्दबाजी होगी और जिन लोगों को वैक्सीन लगाई लाएगी, उन पर सालों नजर रखने के बाद ही स्थिति साफ होगी। एक रिसर्च में तीन महीने के अंदर एंटीबॉडीज खत्म होने की बात भी सामने आई है, हालांकि अभी और रिसर्च की जरूरत है।
फ्लू की तरह इंसानों के बीच बना रह सकता है कोरोना वायरस
अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, दुनिया को पहले जैसी स्थिति में लाने के लिए वैक्सीन का 70-80 प्रतिशत प्रभावकारी होना जरूरी है। हालांकि, इससे कम प्रभावी वैक्सीन भी नियमों के साथ असरदार साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि वायरस समय के साथ बदलाव करता रहेगा और इसे पूरी तरह से मिटाना मुश्किल हो सकता है। वैक्सीन के बाद भी यह साधारण फ्लू की तरह इंसानों के बीच बना रह सकता है।