
AI के हर उपयोग में कितनी खर्च होती है ऊर्जा? यहां समझे पूरा गणित
क्या है खबर?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। अब बहुत से लोग छोटे-छोटे सवालों का जवाब जानने के लिए गूगल जैसे सर्च इंजन के बजाय ChatGPT जैसे चैटबॉट का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, AI के प्रत्येक उपयोग में ऊर्जा खर्च होती है। OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने कहा कि एक औसत ChatGPT क्वेरी उतनी ही ऊर्जा खपत करती है, जितनी एक ओवन एक सेकंड में करता है। यह आने वाले समय में और बढ़ सकता है।
खर्च
कुछ AI मॉडल करते हैं 50 गुना ज्यादा CO₂ उत्सर्जित
जून में फ्रंटियर्स इन कम्युनिकेशन में छपी एक रिपोर्ट में मेटा और डीपसीक सहित 14 ओपन-सोर्स जनरेटिव AI मॉडल की तुलना की गई। जर्मनी की म्यूनिख यूनिवर्सिटी ऑफ़ एप्लाइड साइंसेज के शोधकर्ताओं ने बताया कि कुछ मॉडलों से दूसरों की तुलना में 50 गुना ज्यादा CO₂ उत्सर्जन होता है। विशेषज्ञों ने बताया कि यह अंतर AI मॉडल के पैरामीटर्स, उनके टोकन उपयोग और प्रोसेसिंग के तरीकों के कारण है, जिससे औसत उत्सर्जन का आंकलन कठिन होता है।
वजह
AI मॉडल क्यों करते हैं इतनी ऊर्जा की खपत?
GPT-4 जैसे बड़े AI मॉडल में अनुमानित 1 लाख करोड़ पैरामीटर होते हैं। ये मॉडल दुनियाभर के डाटा सेंटर में चलने वाले पावरफुल GPU पर चलते हैं। अनुमान के मुताबिक, अमेरिका की कुल बिजली खपत का 4.4 प्रतिशत हिस्सा अभी AI और डाटा सेंटरों में लगता है, जो 2028 तक 12 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। डीपसीक R1 70-अरब पैरामीटर मॉडल अगर 6 लाख सवालों के जवाब दे तो उतनी CO₂ निकलती है, जितनी एक अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट से होती है।
नीतियां
सही मॉडल चुनना और नई नीतियां जरूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि हर सवाल के लिए बड़े मॉडल की जरूरत नहीं होती। छोटे और कम ऊर्जा वाले मॉडल भी कई मामलों में सही काम कर सकते हैं। म्यूनिख यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ साधारण मॉडल भी उतनी ही सटीकता देते हैं, जितनी बड़े तर्क मॉडल, लेकिन उनसे कार्बन उत्सर्जन 3 गुना कम होता है। इसलिए, AI के उपयोग में सावधानी, बेहतर विकल्पों का चयन और भविष्य में स्पष्ट ऊर्जा नीतियों की जरूरत है।
खपत
ऊर्जा की खपत कई बातों पर करती है निर्भर
AI मॉडल से हर सवाल पूछने पर एक जैसी ऊर्जा नहीं लगती। ऊर्जा की खपत इस बात पर निर्भर करती है कि सवाल कितना लंबा या जटिल है, किस डाटा सेंटर से उसे प्रोसेस किया गया, वहां किस तरह की बिजली का उपयोग हुआ और सवाल पूछे जाने का समय क्या था। दिन के समय गर्मी ज्यादा हो तो कूलिंग सिस्टम ज्यादा ऊर्जा लेते हैं। सवाल में जितने ज्यादा शब्द या टोकन होंगे, उतनी ही ज्यादा प्रोसेसिंग और ऊर्जा लगेगी।