एंड्रॉयड और iOS यूजर्स के बीच भेद-भाव करती है ऐपल, कंपनी के रवैये से गूगल नाखुश

सॉफ्टवेयर कंपनी गूगल के अपने मोबाइल प्लेटफॉर्म एंड्रॉयड का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के साथ होने वाले भेद-भाव को लेकर ऐपल से नाखुश है। ऐपल ने अपना मेसेजिंग इकोसिस्टम क्लोज रखा है और एंड्रॉयड यूजर्स के लिए इसकी i-मेसेज सेवा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा एंड्रॉयड यूजर्स की ओर से भेजे जाने वाले मेसेज ऐपल यूजर्स को अलग से दिखते हैं और स्टैंडर्ड i-मेसेज इनबॉक्स का हिस्सा नहीं बनते। गूगल चाहती है कि सभी यूजर्स को एक जैसे विकल्प मिलें।
ऐपल का मेसेजिंग इकोसिस्टम क्लोज है और कैलिफोर्निया की टेक कंपनी लगातार रिच कम्युनिकेशंस सर्विसेज (RCS) स्टैंडर्ड का उल्लंघन करती रही है। RCS कम्युनिकेटिंग सिस्टम का मकसद एक स्टैंडर्डाइज SMS सर्विसेज तैयार करना है, जिसका इस्तेमाल सभी प्लेटफॉर्म्स पर किया जा सके। यह प्लेटफॉर्म सामान्य मेसेजिंग में नए और मॉडर्न फीचर शामिल करना चाहता है लेकिन ऐपल का क्लोज्ड-सोर्स iOS प्लेटफॉर्म अब तक इसका हिस्सा नहीं बना है। यही वजह है कि ऐपल i-मेसेज जैसे फीचर्स एंड्रॉयड में नहीं मिलते।
गूगल में प्लेटफॉर्म्स एंड इकोसिस्टम्स के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट हिरोशी लॉकहाइमर ने एक ट्वीट की है, जिसमें ऐपल i-मेसेज के युवाओं के बीच लोकप्रिय होने का जिक्र किया गया है। उन्होंने लिखा कि ऐपल का RCS ना स्वीकार करना, एंड्रॉयड और iOS यूजर्स के बीच अंतर बरकरार रखता है और अमेरिकी आईफोन मेकर को सभी यूजर्स को एक जैसी सेवाएं मिलने का महत्व समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए ऐपल गलत तरीके आजमा रही है।
अपने ट्वीट में हिरोशी ने लिखा, "ऐपल की i-मेसेज लॉक-इन रणनीति सोची-समझी है। दवाब डालकर और चिढ़ाकर अपने प्रोडक्ट्स बेचना उस कंपनी के लिए गलत है, जो कहती है मानवीयता और समानता उसकी मार्केटिंग का केंद्र हैं। आज इसे ठीक करने के लिए स्टैंडर्ड्स मौजूद हैं।" उनके ट्वीट को कोट करते हुए एंड्रॉयड ने भी लिखा कि टेक्स्टिंग सभी को साथ लाने के लिए होनी चाहिए और ऐसा मिलकर किया जा सकता है।
iMessage should not benefit from bullying. Texting should bring us together, and the solution exists. Let’s fix this as one industry. 💚💙 https://t.co/18k8RNGQw4
— Android (@Android) January 8, 2022
समझना जरूरी है कि गूगल ऐसा क्यों कह रही है कि यूजर्स को दबाव में आईफोन खरीदना पड़ता है। दरअसल, ऐपल की i-मेसेज सेवा एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में नहीं मिलती। जिन देशों में ऐपल ज्यादा लोकप्रिय है, वहां यूजर्स i-मेसेज और फेसटाइम का इस्तेमाल सामान्य रूप से करते हैं। वहीं, आईफोन ना होने पर बाकी यूजर्स को अन्य मेसेजिंग और वीडियो कॉलिंग ऐप्स की मदद लेनी पड़ती है। यह एक तरह का दबाव पैदा करता है कि वे भी आईफोन खरीदें।
ऐपल एंड्रॉयड फोन से रिसीव होने वाले मेसेज भी अलग सेक्शन में ग्रीन बबल में दिखाती है। ऐपल का कहना है कि क्लोज इकोसिस्टम के साथ वह अपने यूजर्स को बेहतर प्राइवेसी और सुरक्षा दे पाती है। हालांकि, पिछले साल ऐपल लिंक्स की मदद से एंड्रॉयड और विंडोज यूजर्स के लिए फेस्टाइम कॉल का हिस्सा बनने का विकल्प लेकर आई है। i-मेसेज के लिए ऐसा सॉल्यूशन लाने भी फिलहाल ऐपल की कोई योजना नहीं है।
एंड्रॉयड स्मार्टफोन से i-मेसेज भेजने के लिए यूजर्स कई तरकीबें आजमाते हैं और कुछ थर्ड-पार्टी ऐप्स की मदद ले सकते हैं। आप भी एयरमेसेज ऐप और वाई-फाई कनेक्टिविटी की मदद से ऐसा कर सकते हैं।