AI से बदलता हेल्थ सेक्टर, आंखों के स्कैन से दिल की बीमारी का पता लगाएगी गूगल
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से हेल्थ से जुड़ी टेक्नोलॉजी में बड़ा बदलाव आ रहा है। AI के क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, OpenAI आदि इस टेक्नोलॉजी के नए प्रयोगों पर लगातार काम कर रही हैं। गूगल के CEO सुंदर पिचई ने हाल ही में एक एक शानदार खुलासा किया है। पिचई की घोषणा के मुताबिक, गूगल अब AI की मदद से अन्य बीमारियों के साथ ही डायबिटिक रेटिनोपैथी का भी पता लगाने में मदद करती है।
आंखों को स्कैन करके पता लगाया जा सकेगा दिल का हाल
आंखों को स्कैन करके दिल के हाल का भी पता लगाया जा सकता है। इस टेक्नोलॉजी से CT-स्कैन, MRI, एक्स-रे जैसी पारंपरिक जांचों से राहत मिलेगी। नई टेक्नोलॉजी जांच के पुराने तरीकों को बदल देगी। गूगल और अरविंद नेत्र अस्पताल के शोधकर्ताओं की एक टीम ने चार साल पहले डायबिटिक रेटिनोपैथी का पता लगाने के लिए एक स्वचालित उपकरण तैयार करने का मिशन शुरू किया था। इससे ऑटोमैटेड रेटिनल डिजीज असेसमेंट (ARDA) नामक AI ऐप तैयार हुई।
अंधेपन का प्रमुख कारण है डायबिटिक रेटिनोपैथी
डायबिटिक रेटिनोपैथी विश्व स्तर पर अंधेपन का एक प्रमुख कारण है। शोधकर्ताओं की टीम द्वारा विकसित एल्गोरिदम बीमारी के संकेतों को पहचान सकता है और रोगी की रेटिना की तस्वीरों के जरिए कुछ ही सेकेंड में बीमारी को डायग्नोस कर सकता है। इस एल्गोरिदम को जल्द ही इस्तेमाल किए जाने के लिए अनुमति मिलने की उम्मीद है। इससे आंखों की बीमारी का पता लगाने और उसके मैनेजमेंट का सिस्टम बदल जाएगा।
AI से इन बीमारियों का पता लगाने का रास्ता खुला
गूगल हेल्थ के क्षेत्र में AI के इस्तेमाल पर लगातार काम कर रही है। इस साल की शुरुआत में गूगल ने एक एल्गोरिदम की शुरुआत की, जो इंसान के लिंग, धूम्रपान की स्थिति की पहचान करता है और दिल के दौरे के 5 साल के जोखिमों की भविष्यवाणी करने में सक्षम है। यह सब रेटिनल इमेजरी पर आधारित है। AI से डिमेंशिया, मल्टीपल स्केलेरोसिस, पार्किंसंस, अल्जाइमर, सिजोफ्रेनिया जैसी अन्य बीमारियों का जल्द पता लगाने की संभावनाओं का रास्त खुल गया।
आंख से पता चल जाता है पूरे शरीर के स्वास्थ्य का हाल
आंख की पिछली आंतरिक दीवार रक्त वाहिकाओं से भरी होती है। ये शरीर के पूरे स्वास्थ्य की जानकारी देती हैं। आंख की पिछली आंतरिक दीवार और रेटिना का अध्ययन करके डॉक्टर किसी इंसान के ब्लड प्रेशन, उम्र और उसकी धूम्रपान की आदतों जैसी महत्वपूर्ण जानकारी का अनुमान लगा सकते हैं। ये सभी आदतें हृदय के स्वास्थ्य की जानकारी के लिए महत्वपूर्ण हैं या कहें कि ये हृदय के स्वास्थ्य का भविष्य बताने में सक्षम हैं।
परीक्षण में सफल रहा गूगल का AI सिस्टम
कार्डियोवैस्कुलर भविष्यवाणी एल्गोरिदम को प्रशिक्षित करने के लिए गूगल ने लगभग 1,00,000 रोगियों के मेडिकल डाटासेट का विश्लेषण करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग किया। इस डाटा में आंखों के स्कैन के साथ-साथ सामान्य मेडिकल डाटा भी था। परीक्षण करने पर पाया गया कि गूगल की AI दो रोगियों की रेटिन तस्वीरों के बीच अंतर करने में सक्षम थी। इसका प्रदर्शन कार्डियोवैस्कुलर खतरों की भविष्यवाणी के लिए आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली SCORE पद्धति से थोड़ा ही कम था।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाएगा AI
इन खोजों और इनके परीक्षणों के नतीजों से पता चलता है कि हेल्थ क्षेत्र में AI बड़े बदलाव लाने को तैयार है। AI एल्गोरिदम मौजूदा चिकित्सा डाटा का विश्लेषण करने के नए तरीके खोज रहा है। इससे इस बात की संभावना मजबूत होती है कि पर्याप्त डाटा के साथ AI चिकित्सा के क्षेत्र में बिना मानवीय हस्ताक्षेप के जल्दी और सटीक नतीजे देने में सक्षम होगी। इससे चिकित्सा के क्षेत्र में नया नजरिया विकसित होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचेंगी महंगी स्वास्थ्य सुविधाएं
ये टेक्नोलाजी चिकित्सा सुविधाओं से दूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने में सक्षम होगी। इसके लिए किसी भारी भरकम सेटअप या महंगी मशीनों की लागत भी नहीं आएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें एक स्मार्टफोन, सस्ते कंडेनसिंग लेंस और रेटिना कैमरा की मदद पोर्टेबल यानी छोटा और चलता-फिरता विजन (दृष्टि) स्क्रीनिंग सिस्टम तैयार हो सकता है। रोगी रेटिना की तस्वीर लेकर क्लाउड पर अपलोड कर कुछ सेकेंड में निदान पा सकते हैं।