आइसलैंड में चालू हुई हवा से CO2 खींचकर पत्थर में बदलने वाली सबसे बड़ी मशीन
क्या है खबर?
आइसलैंड में हवा से कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) खींचने वाली दुनिया की सबसे बड़ी मशीन चालू हो गई है। यहां लगाए गए प्लांट को 'ओरका' नाम दिया गया है, जिसका मतलब ऊर्जा होता है।
इस प्लांट को स्विट्जरलैंड की क्लाइमवर्क्स और आइसलैंड की कार्बफिक्स कंपनी ने मिलकर तैयार किया है।
पूरी क्षमता से चलने पर यह हर साल हवा से 4,000 टन कार्बन डाईऑक्साइड को खींचकर उसे पत्थर में तब्दील कर देगा।
आइये, पूरी खबर जानते हैं।
तकनीक
CO2 से बनेंगे पत्थर
यह प्लांट हर साल 870 कारों से निकलने वाले जहरीले धुएं के बराबर CO2 सोख सकता है और इसे बनाने में 73-110 करोड़ रुपये की लागत आई है।
प्लांट में शिपिंग कंटेनर के आकार के आठ बॉक्स बनाए गए हैं। हर बॉक्स पर दर्जनों पंखे लगे हैं, जो CO2 को अंदर खींचने के साथ-साथ उसे फिल्टर भी करेंगे।
बाद में CO2 को पानी में मिलाकर कुओं में डाल दिया जाएगा, जहां कई सालों बाद ये पत्थर बन जाएगी।
डायरेक्ट एयर कैप्चर
पहले से चल रहे हैं ऐसे कई छोटे प्लांट
अमेरिका, कनाडा और यूरोप में पहले से ही इस तरह के छोटे चल रहे हैं और नए प्लांट की शुरुआत के साथ हवा से CO2 खींचने की क्षमता में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इस तकनीक के समर्थकों का कहना है कि यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में ऐसे प्लांट अहम भूमिका निभा सकते हैं।
वहीं आलोचकों का कहना है कि यह तकनीक बहुत महंगी है और बड़े स्तर पर इसके उपयोग में सालों लग सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन
हवा से CO2 को हटाने की जरूरत- पैनल
बीते महीने संयुक्त राष्ट्र के अंतर-देशीय जलवायु परिवर्तन पैनल (IPCC) ने कहा था कि ग्लोबल वॉर्मिंग के सबसे बुरे परिणामों से बचने के लिए वातावरण से कार्बन डाईऑक्साइड हटाने की जरूरत है।
वातावरण को शुद्ध करने का सबसे आसान तरीका पेड़ लगाना है और उसके लिए बहुत जगह की जरूरत होगी। ऐसे में कार्बफिक्स और क्लाइमवर्क्स जैसी कंपनियां 'डायरेक्ट एयर कैप्चर' (DAC) तकनीक ला रही हैं, जिसमें बड़ी मशीनों के जरिये हवा से कार्बन डाईऑक्साइड को खींचा जाता है।
उपाय
CO2 के उत्सर्जन को कम कर सीमित किया जा सकता है जलवायु परिवर्तन
पैनल की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि समुद्र के जलस्तर में वृद्धि जैसे कुछ परिवर्तनों को सैकड़ों या हजारों सालों में भी ठीक नहीं किया सकता, लेकिन CO2 उत्सर्जन में बड़ी कटौती कर जलवायु परिवर्तन को सीमित किया जा सकता है।
ऐसा करने पर भी वैश्विक तापमान को स्थिर होने में 20-30 साल लग जाएंगे, लेकिन हवा की गुणवत्ता जल्द ठीक हो जाएगी।
रिपोर्ट में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित करने वाली गतिविधियों को कम करने को कहा गया है।
जलवायु परिवर्तन
अनुमान से अधिक तेजी से गरम हो रही धरती- रिपोर्ट
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि धरती अधिक तेजी से गर्म हो रही है और ये पहले के अनुमान से एक दशक पहले ही 1.5 डिग्री सेल्सियस गर्म हो जाएगी।
IPCC ने कहा है कि दुनिया का लगभग हर हिस्सा पहले से अधिक तेजी से गर्म हो रहा है और ये 2030 तक ही 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो जाएगी। 2018 में ऐसा 2040 तक होने का अनुमान लगाया गया था।
खतरा
मानवता के अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है जलवायु परिवर्तन
बता दें कि वैज्ञानिक पिछले काफी सालों से चेतावनी दे रहे हैं कि मानव गतिविधियां ग्लोबल वॉर्मिंग का कारण बन रही हैं और इससे जलवायु परिवर्तन उस स्तर पर पहुंच सकता है जिसके बाद इसे रोकना असंभव हो जाएगा और मानवता खतरे में पड़ जाएगी।
कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन पहले ही खतरे के निशान से ऊपर जा चुका है।
इस खतरे से निपटने के लिए इस साल ग्लासगो में देशों की बड़ी बैठक होने वाली है।