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ऐपल पर आरोप, जानबूझकर स्लो किए अपने फ्लैगशिप स्मार्टफोन
स्पेन के संगठन ने ऐपल पर आरोप लगाया है।

ऐपल पर आरोप, जानबूझकर स्लो किए अपने फ्लैगशिप स्मार्टफोन

Jul 19, 2021
11:41 am

क्या है खबर?

कैलिफोर्निया की टेक कंपनी ऐपल की पहचान यूजर्स को हार्डवेयर से लेकर सॉफ्टवेयर तक शानदार एक्सपीरियंस देने के चलते है। अब कंपनी पर जानबूझकर यूजर्स के डिवाइसेज को स्लो करने का आरोप लगा है। स्पेन के कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन ने आरोप लगाया है कि ऐपल ने कई आईफोन मॉडल्स की परफॉर्मेंस स्लो कर दी है, जिनमें मौजूदा फ्लैगशिप मॉडल्स भी शामिल हैं। आरोप है कि डिवाइसेज को iOS 14.5, iOS 14.5.1 और iOS 14.6 अपडेट देकर स्लो किया गया है।

रिपोर्ट

स्पेन की वेबसाइट ने दी जानकारी

स्पेनिश वेबसाइट iPhoneros ने बताया है कि आईफोन 12, आईफोन 11, आईफोन XS और आईफोन 8 डिवाइसेज iOS 14.5 अपडेट मिलने के बाद स्लो हो गए हैं। प्रोसेसिंग स्पीड स्लो होने का असर डिवाइसेज की बैटरी पर भी पड़ रहा है, जो पहले के मुकाबले तेजी से खत्म हो रही है। ऑल्ट्रोकंज्यूमो, डेको प्रोटेस्टे और टेस्ट-अचैट्स जैसे दूसरे संगठन भी इस रिपोर्ट से सहमत हैं। साल की शुरुआत में डेक्टो प्रोटेस्टे ने भी ऐपल पर ऐसे ही आरोप लगाए थे।

लेटर

यूजर्स को मुआवजा देने की मांग

स्पेन कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन की ओर से ऐपल को लेटर भेजकर इस बारे में शिकायत की गई है। लेटर में कहा गया है कि नए iOS अपडेट्स मिलने के चलते जिन यूजर्स को दिक्कत हुई, उन्हें कंपनी की ओर से मुआवजा मिलना चाहिए। ऐसा ना करने की स्थिति में ऐपल को लॉसूट भेजा जा सकता है। प्रीमियम टेक कंपनी की ओर से इस लेटर पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

आईफोन 6

कुछ साल पहले भी सामने आया था मामला

यह पहली बार नहीं है, जब ऐपल पर मौजूदा मॉडल्स के साथ अपडेट के जरिए छेड़छाड़ करने का आरोप लगा है। साल 2016 में कुछ आईफोन 6 मॉडल्स (आईफोन 6 प्लस, 6s और 6s प्लस) यूजर्स ने शिकायत की थी कि उनके डिवाइसेज नया अपडेट मिलने के बाद से अपने आप बंद हो रहे हैं। ऐसा ऐपल की ओर से की गई CPU थ्रॉटलिंग के चलते हो रहा था, जिसके साथ कंपनी डिवाइसेज की बैटरी लाइफ बेहतर करना चाहती थी।

गलती

ऐपल को माननी पड़ी थी गलती

आईफोन 6 सीरीज से जुड़े मामले को लेकर ऐपल ने अपनी गलती मानी थी और नया अपडेट देकर यूजर्स की समस्या दूर की थी। ऐपल को लॉसूट के चलते बड़ी रकम चुकानी पड़ी थी और बैटरी रिप्लेसमेंट की कीमत कम करनी पड़ी थी। इसके अलावा कंपनी ने बैटरी हेल्थ इंडिकेटर को भी अपने ऑपरेटिंग सिस्टम का हिस्सा बनाया था। कंपनी दोबारा ऐसी गलती नहीं दोहराना चाहेगी और यूजर्स का भरोसा बनाए रखना उसके लिए जरूरी है।

जानकारी

जल्द मिल सकता है नया अपडेट

अगर ऐपल पर लगाए गए आरोप सही साबित होते हैं, तो कंपनी को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। हालांकि, जल्द से जल्द नया अपडेट देकर स्लो परफॉर्मेंस और बैटरी ड्रेन जैसी दिक्कतों को खत्म किया जा सकता है।