चुनावों में ऐसे हो रहा है AI का इस्तेमाल, विशेषज्ञों ने जताए ये खतरे
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के संभावित खतरों को लेकर कई शोधकर्ता और वैज्ञानिक चेतावनी देते रहे हैं। AI इंडस्ट्री से जुड़े जानकार इसे समाज के लिए भी खतरा बता रहे हैं। जनरेटिव AI से गलत उद्देश्य वाली फोटो, वीडियो बनाने, झूठी जानकारी वाला कंटेंट तैयार करने के खतरों को लेकर आशंका जताई जाती रही है। अब AI के जरिए चुनावों को प्रभावित करने के भी कई मामले सामने आ रहे हैं और विशेषज्ञों ने इस पर चिंता भी जाहिर की है।
इन जगहों पर चुनाव में हुआ AI का गलत इस्तेमाल
अब तक टोरंटो, न्यूजीलैंड और शिकागो में राजनीतिक दलों और मेयर चुनाव में AI के गलत इस्तेमाल के मामले सामने आए हैं। AI के जरिए एक उम्मीदवार दूसरे उम्मीदवार को नीचे दिखाने से लेकर मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है। न्यूजीलैंड में एक पार्टी ने आभूषण की दुकान में तोड़फोड़ करते नकली लुटेरों की असली जैसी दिखने वाली नकली तस्वीर प्रस्तुत की थी। इन तस्वीरों का इस्तेमाल जनता को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
टोरंटो के मेयर के चुनावी अभियान में बनाई गई महिला की गलत तस्वीर
दूसरे मामले में टोरंटो के एक मेयर उम्मीदवार एंथनी फ्यूरी के अभियान में एक महिला की गलत तस्वीर बनाई गई। महिला के दोनों हाथ सामने थे और एक तीसरा हाथ उनकी ठुड्डी को छू रहा था। एंथनी ने अपने प्रचार अभियान और अपनी कार्य योजना को दिखाने के लिए कई तस्वीरों का इस्तेमाल किया। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि उनके द्वारा इस्तेमाल की गई तस्वीरें AI से जनरेट की गई थीं।
शिकागो में क्लोन की गई उपविजेता की आवाज
शिकागो में अप्रैल में मेयर के चुनाव में उपविजेता ने शिकायत की थी कि एक समाचार संस्थान के रूप में खुद को दिखाने वाले एक ट्विटर अकाउंट ने AI का उपयोग करके उनकी आवाज को क्लोन किया था। उनका आरोप था कि उनकी आवाज को क्लोन करके इस तरह से इस्तेमाल किया गया, जैसे उन्होंने पुलिस की क्रूरता को अनदेखा या माफ कर दिया हो। ऐसा करके किसी उम्मीदवार के समर्थकों को प्रभावित किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं और कानून निर्माताओं ने बताई नियम की जरूरत
राजनीतिक सलाहकारों, चुनाव शोधकर्ताओं और कानून निर्माताओं का कहना है कि AI टेक्नोलॉजी दुनियाभर में लोकतांत्रिक चुनावों को प्रभावित कर सकती है और इसके लिए नियमन की जरूरत है। लोगों का कहना है कि AI के इस्तेमाल के नियम बनने चाहिए और कृत्रिम रूप से बनाए गए विज्ञापनों पर लगाम लगाने वाला कानून तत्काल और प्राथमिक तौर पर लागू होना चाहिए। उनके मुताबिक, सोशल मीडिया से जुड़े नियम और कंपनियां AI कंटेंट का पता लगाने में विफल रही हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में AI का इस्तेमाल
अमेरिका में 2024 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। इसको लेकर कुछ चुनाव अभियान शुरू भी हो गए हैं। राष्ट्रपति जो बाइडन की चुनाव में दावेदारी की घोषणा के बाद रिपब्लिकन नेशनल कमेटी ने बुरे परिदृश्यों के साथ कृत्रिम रूप से जनरेट की गईं तस्वीरों से तैयार किया गया एक वीडियो जारी किया। इधर फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस ने प्रसिद्ध अमेरिकी डॉक्टर एंथनी फाउची के साथ पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नकली तस्वीरें शेयर कर दी।
AI से तैयार किए कंटेंट ज्यादा प्रभावी - रिपोर्ट
एक रिपोर्ट के मुताबिक, डेमोक्रेटिक पार्टी ने चुनावी चंदा पाने के लिए AI की मदद से फंड रेजिंग मैसेज लिखवाया और पाया कि लोगों को जोड़ने और चंदा पाने में मनुष्यों द्वारा लिखे मैसेज की तुलना में AI द्वारा लिखा गया मैसेज ज्यादा प्रभावी है।
AI को चुनावी अभियान की लागत कम करने वाला विकल्प मान रहे हैं राजनेता
कुछ राजनेता AI को अपने चुनावी अभियान की लागत कम करने वाली तकनीक के रूप में देख रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नकली वीडियो, AI द्वारा तैयार किया गया झूठा कंटेंट, झूठ पर आधारित ईमेल, देश और शहर की स्थिति को दिखाने वाली मनगढ़ंत तस्वीरें शेयर करने से पक्षपातपूर्ण विभाजन बढ़ सकता है। जानकारों का मानना है कि मैन्युअल हेरफेर की तुलना में AI काफी ज्यादा शक्तिशाली और क्षमतावान है।
AI के दुरुपयोग से लोकतंत्र के प्रभावित होने की चिंता
अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल कंसल्टेंट्स ने हाल ही में राजनीतिक अभियानों में डीपफेक कंटेंट के उपयोग की निंदा करते हुए इसे अपने आचार संहिता का उल्लंघन बताया है। ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के एक वरिष्ठ सीनियर फेलो डेरेल एम वेस्ट ने कहा कि AI झूठी कहानियां तैयार कर सकता है तो यह मतदाताओं को प्रभावित करने और चुनाव जीतने का एक प्रभावी तरीका भी हो सकता है। राजनीतिक विशेषज्ञों को चिंता है कि AI का दुरुपयोग होने पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित होगी।