मोदी सरकार के प्रमुख चेहरों में रहे रविशंकर प्रसाद को क्यों गंवानी पड़ी अपनी कुर्सी?
बुधवार को हुए केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में जहां कई नए चेहरों को शामिल किया गया, वहीं कई बड़े चेहरों की छुट्टी भी हुई। जिन चेहरों को कैबिनेट से बाहर किया गया, उनमें सबसे बड़ा नाम रविशंकर प्रसाद का रहा जो कानून मंत्रालय और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) मंत्रालय संभाल रहे थे। सरकार के प्रमुख प्रवक्ताओं में शामिल रहे प्रसाद की छुट्टी ने सबको हैरानी में डाल दिया है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि उनकी छुट्टी क्यों हुई।
ट्विटर और IT नियमों पर विवाद बड़ा कारण
रविशंकर प्रसाद की छुट्टी का एक बड़ा कारण ट्विटर जैसी कंपनियों के साथ उनके झगड़े को माना जा रहा है। शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि इस झगड़े ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार की छवि खराब की। प्रसाद की इस विवाद को सुलझाने में नाकामी और सभी बड़ी टेक कंपनियों को सरकार के नए IT नियमों के पालन के लिए मनाने में विफलता उनके खिलाफ गई और इस कारण उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।
प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी अभियान को जमीन पर उतारने में नाकामी दूसरा कारण
एक और बड़ा कारण जिसे रविशंकर प्रसाद की छुट्टी के पीछे माना जा रहा है, वह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी 'भारतनेट' अभियान को जमीन पर उतारने में उनकी नाकामी। इस अभियान के तहत प्रधानमंत्री का लक्ष्य देश के हर गांव तक इंटरनेट पहुंचाना है और इसका राजनीतिक तौर पर बहुत बड़ा असर पड़ सकता है। हालांकि प्रसाद इसे जमीन पर उतारने में नाकाम रहे और जून, 2021 तक यह अभियान पूरा नहीं हो पाया।
बिहार की राजनीति में प्रसाद से नहीं हो रहा था कोई फायदा
प्रसाद के मंत्री पद गंवाने के पीछे एक कारण बिहार की राजनीति में उनसे कोई फायदा नहीं होना भी माना जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा नेतृत्व यह जान चुका है कि प्रसाद को मंत्री बनाए रखने से बिहार में पार्टी को कोई फायदा नहीं हो रहा है। वे खुद को पटना संसदीय सीट तक ही सीमित रख रहे थे और आम कार्यकर्ताओं के लिए उन तक पहुंचाना मुश्किल हो रहा था।
RSS के साथ कमजोर होते रिश्ते भी एक कारण
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ रविशंकर प्रसाद के कमजोर होते रिश्ते भी उनकी छुट्टी का एक कारण हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रसाद RSS के साथ अपने रिश्तों को उस तरह से नहीं रख पाए जैसे उनके पिता ठाकुर प्रसाद रखते थे।
2014 के बाद पहली बार कैबिनेट से बाहर हुए प्रसाद
2014 में प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद ये पहली बार है जब रविशंकर प्रसाद के पास कोई मंत्रालय नहीं है और वे कैबिनेट से पूरी तरह से बाहर हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी वह कानून और IT मंत्रालय समेत कई मंत्रालय संभाल चुके हैं। भाजपा नेताओं का इस पूरे मामले को कमतर आंकने की कोशिश की है और कहा है कि पार्टी संगठन में प्रसाद के अनुभव की जरूरत है।
इन नेताओं को दी गई रविशंकर प्रसाद की जिम्मेदारियां
कैबिनेट के फेरबदल में IIT खड़गपुर से पढ़ाई करने वाले अश्विनी वैष्णव को IT मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। वे कई वैश्विक कंपनियों में बड़े पदों पर रह चुके हैं और उन्हें अपने इस अनुभव का फायदा ट्विटर से विवाद सुलझाने में मिल सकता है। इसके अलावा वे पब्लिक प्राइवेट प्रार्टनरशिप में भी निपुण हैं जिससे भारतनेट अभियान को तेजी मिल सकती है। प्रसाद पर रहे कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी किरेन रिजिजू को दी गई है।